लोकसभा चुनाव के लिए दलों और प्रत्याशियों का उम्मीदों का मेला फिर सज चुका है। राष्ट्रीय दलों के साथ ही कई रजिस्टर्ड अमान्यता प्राप्त दल इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। ऐसा ही कुछ माहौल पिछले चुनावों में भी नजर आता रहा है,लेकिन चुनाव सिमटने के बाद ऐसे ज्यादातर दल एक या दो हार के बाद ओझल हो जाते हैं।
प्रदेश में लोकसभा सीट के चुनाव में कई नई पाटियों ने जन्म लिया। इनमें से ज्यादातर पहले चुनाव में हार के बाद ओझल हो गईं। दोबारा इन पार्टियों का कोई प्रत्याशी दूसरे चुनाव में नजर नहीं आया। चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का,हर बार नई पार्टियां जीत का दावा करते हुए, दम ठोकती हैं।
पर ऐसी पार्टियों के प्रत्याशी कभी जीत का स्वाद नहीं चख पाए। ऐसे दल चुनाव के समय तो नजर आए, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद गायब ही हो गए।
23 राजनीतिक दलों ने एक बार भी नहीं लड़ा चुनाव
भारत परिवार पार्टी, भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान दल, भारतीय जनक्रांति पार्टी, भारतीय जनक्रांति पार्टी, भारतीय मूल निवासी समाज पार्टी, भारतीय सम्राट सुभाष सेना, भारतीय शक्ति सेना, भारतीय अंत्योदय पार्टी, भारतीय ग्राम नगर विकास पार्टी, भारतीय सेवक पार्टी, भारतीय युवा एकता शक्ति पार्टी, गोरखा डेमोक्रेटिक फ्रंट, मैदानी क्रांति दल, न्याय धर्म सभा पार्टी, पहाड़ी पार्टी, प्रजातंत्र पार्टी ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय ग्राम विकास पार्टी, सुराज सेवा दल, उत्तराखंड जनशक्ति पार्टी, उत्तराखंड जनवादी पार्टी, उत्तराखंड एकता मिशन पार्टी, राज्य स्वराज पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय एकता दल।
(नोट उक्त आंकड़े 2017, 2019 व 2022 चुनावों के आधार पर हैं।)
सीमित भागीदारी वाले रजिस्टर्ड अमान्यता प्राप्त दल
भारत कौमी दल, भारतीय सर्वोदय पार्टी, हमारी जनमंच पार्टी, पीपुल्स पार्टी, प्रगतिशील लोक मंच, प्रजामंडल पार्टी, राष्ट्रीय आदर्श पार्टी, राष्ट्रीय जन सहाय दल, राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी, सैनिक समाज पार्टी, सर्व विकास पार्टी, उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी और उत्तराखंड रक्षा मोर्चा।
पहली बार चुनाव लड़ रहे दल
राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी, भारतीय, राष्ट्रीय एकता दल, बहुजन मुक्ति पार्टी, उत्तराखंड समानता पार्टी और अखिल भारतीय परिवार पार्टी।