Sunday, January 12, 2025
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UP में खेती के लिए सिंचाई-पीने के पानी का होगा संकट! टिहरी बांध में 1 महीने बिजली उत्पादन बंद

टिहरी बांध परियोजना से दो जून से एक जुलाई (एक माह) तक बिजली उत्पादन बंद रहेगा। इसके लिये मेरठ स्थित उत्तरी ग्रिड के अलावा केंद्र, यूपी और उत्तराखंड सरकार से अनुमति मिल गई है। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि टिहरी बांध में बिजली उत्पादन ठप होने से क्या यूपी और दिल्ली-एनसीआर के लोगों को खेती के लिए सिंचाई और पीने के पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी?

टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीएचडीसी) एक हजार मेगावाट की पंप स्टोरेज प्लांट योजना से बिजली उत्पादन की तैयारी करने जा रहा है। इसके लिये परियोजना में अंतिम चरण का कार्य होना है, जिसके चलते एक हजार मेगावाट टिहरी प्लांट एवं 400 मेगावाट कोटेश्वर बांध से बिजली उत्पादन नहीं होगा।पीएसपी प्लांट से उत्पादन शुरू होने के बाद भारत की सबसे बड़ी टिहरी बांध परियोजना की क्षमता 2400 मेगावाट हो जायेगी। टीएचडीसी भागीरथीपुरम, टिहरी स्थित हाइड्रो पावर प्लांट से दो जून से एक माह का शटडाउन ले रहा है।

टीएचडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आरके विश्नोई ने बताया कि टीएचडीसी टिहरी बांध से अपनी पूरी क्षमता 2400 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू करेगा। इसके लिये पीएसपी से बिजली उत्पादन की तैयारी की जा रही है। एक हजार मेगावाट पंप स्टोरेज प्लांट की कमीशनिंग अंतिम चरण में है।इसके कुछ कार्य होने हैं, जिसके चलते दो जून से एक माह का शटडाउन लिया जा रहा है। दो जून से एक हजार मेगावाट टिहरी प्लांट एवं चार सौ मेगावाट कोटेश्वर से बिजली उत्पादन बंद रहेगा।

शटडाउन के बाद नहीं होगी कोई दिक्कत
शटडाउन लेने के बाद भी हरिद्वार, यूपी और दिल्ली को सिंचाई एवं पेयजल का संकट नहीं होगा। इन दिनों टिहरी बांध की दो नदियों भागीरथी और भिलंगना से 300 क्यूमेक्स पानी प्रवाहित हो रहा है, जबकि अलकनंदा में 400 क्यूमेक्स पानी मिलने के बाद देवप्रयाग में गंगा में 700 क्यूमेक्स पानी बह रहा है।

इससे सिंचाई के लिए पानी की दिक्कत नहीं होगी। सीएमडी ने बताया कि टिहरी बांध परियोजना 2400 मेगावाट पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन शुरू होने के बाद उत्तराखंड में भी काफी हद तक बिजली संकट कम हो जायेगा।

शटडाउन से गहराएगा बिजली का संकट

ऋषिकेश। पहले से बिजली संकट से जूझ रहे उत्तराखंड की दिक्कत बढ़ने वाली हैं। शटडाउन के चलते उत्तराखंड को टीएचडीसी से मिलने वाली 61.79 मेगावाट बिजली नहीं मिलेगी। जबकि देश के उत्तरी ग्रिड मेरठ के सामने 1400 मेगावाट बिजली की कमी पूरी करने की चुनौती होगी।

उत्तरांखड में ऊर्जा निगम पहले से ही पीक टाइम में बिजली की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में एक माह तक गरमी में टीएचडीसी से मिलने वाली बिजली न मिलने से दिक्कत बढ़ सकती है।

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