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उत्तराखंड में मूल निवास पर जंग का ऐलान, भू-कानून के साथ कट ऑफ वर्ष 1950 तय करने की मांग

मूल निवास की कट ऑफ वर्ष 1950 करने और सख्त भू-कानून लागू करने की मांग को लेकर रविवार को उत्तराखंड में बड़े आंदोलन का शंखनाद हो गया है। इन दोनों मुद्दों को लेकर रविवार को देहरादून में आहूत रैली में प्रदेशभर से लोगों का हुजूम उमड़ा।

लोक वाद्ययत्रों की धुन पर राज्य आंदोलन से जुड़े गीत गाते हुए लोगों ने परेड मैदान से कचहरी स्थित शहीद स्थल तक रैली निकाली। इस दौरान लोगों ने एक स्वर में सरकार से दोनों मांगों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की। जल्द कार्रवाई नहीं होने पर आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया।

सुबह से ही जुटने लगे लोग मूल निवास,भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर लोग सुबह दस बजे से ही परेड ग्राउंड में जुटने शुरू हो गए। यहां लोगों ने मूल निवास 1950 व सख्त भू-कानून के समर्थन में जमकर नारेबाजी की। ढाई घंटे तक युवा पहाड़ी ढोल, रणसिंगा की धुन पर मूल निवास के पक्ष में माहौल बनाते रहे।

रैली के दौरान राज्य आंदोलन से जुड़े लोक और जनगीत भी लोगों में जोश भरते रहे। साढ़े 12 बजे परेड ग्राउंड से शुरू हुई महारैली दो बजे शहीद स्थल पर पहुंची। हालांकि रैली का दूसरा सिरा तीन बजे के बाद तक शहीद स्थल पर पहुंचा। शहीद स्थल पर संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास व सख्त भू-कानून प्रदेश के लोगों के मूल अधिकारों से जुड़े विषय हैं।

इन मुद्दों पर जनता को 23 वर्ष से छला जा रहा है। उनसे रोजगार और अन्य अधिकार छीने गए। समिति से जुड़े लुसुन टोडरिया ने कहा कि मूल निवास की बजाय स्थाई निवास के कमजोर प्रावधानों के कारण राज्य की नौकरियों पर बाहरियों का कब्जा होता जा रहा है।

अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। डिमरी और टोडरियों ने कहा कि यदि सरकार ने मूल निवास व सख्त भू-कानून की व्यवस्था जल्द लागू नहीं की तो उत्तराखंड आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। देहरादून की इस महारैली से इसकी मजबूत शुरुआत हो गई है।

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