Friday, May 9, 2025
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उत्तराखंड में कृषि भूमि को लेकर सामने आई चिंताजनक तस्वीर, 24 साल में खेती की 27 % जमीन घटी

उत्तराखंड में कृषि भूमि को लेकर एक चिंताजनक तस्वीर भी सामने आई है। राज्य बनने के बाद से अब तक राज्य की 2.02 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो चुकी है। विकास योजनाओं, सड़क, बांध, दफ्तरों के साथ साथ रिहायशी कालोनियों के लिए इस जमीन का धड़ल्ले से इस्तेमाल हुआ है।

राज्य गठन के वक्त वर्ष 2000 में उत्तराखंड में कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल 7.70 लाख हेक्टेयर था। आज वर्ष 2024 में यह क्षेत्रफल घटकर महज 5.68 लाख हैक्टेयर ही रह गया है। यानि 27 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि घट चुकी है। कृषि विभाग की प्रगति प्रतिवेदन रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया गया है। सोमवार को मीडिया कर्मियों से बातचीत में कृषि मंत्री गणेश जोशी ने भी कृषि भूमि क्षेत्र में आती गिरावट पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस विषय पर गंभीर है।

राज्य में कृषि क्षेत्र का दायरा

राज्य के कुल 5.68 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्रफल में 2.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर्वतीय कृषि में आता है। 2.87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र मैदानी जिलों में है। इस पूरे क्षेत्रफल में केवल 3.13 लाख हेक्टेयर ही सिंचाई सुविधा से लैस है। बाकी क्षेत्र बारिश के पानी पर निर्भर है। शुरूआती दौर में मैदानी जिलों में कृषि योग्य भूमि में गिरावट ज्यादा तेजी आई।प्रदेश की धामी सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। मेरा मानना है कि पूर्व में नगर निकाय क्षेत्र से बाहर 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदने के आदेश की भी समीक्षा करने की जरूरत है। राज्यहित में धामी सरकार हर संभव कदम उठाएगी।

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