उत्तराखंड के पर्वतीय मार्गों पर उन्हीं ड्राइवरों को कॉमर्शियल वाहन चलाने की इजाजत दी जाएगी जो पहाड़ के संवेदनशील रूटों के अनुरूप दक्ष होंगे। मैदानी क्षेत्रों के ड्राइवरों के पर्वतीय मार्गों पर वाहन चलाने की दक्षता की जांच के लिए उत्तराखंड सरकार मानक सख्त करने जा रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परिवहन विभाग को निर्देश दे दिए हैं।संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने सोमवार को बताया कि अब ऑनलाइन वीडियो के आधार पर परीक्षा के बजाए ड्राइवर की दक्षता की वास्तविक जांच के बाद ही उसे पर्वतीय रूट पर वाहन चलाने का प्रमाणपत्र मिलेगा। हिल इंडोर्समेंट की प्रक्रिया में ड्राइवर के आवेदन के बाद उसका ऑटोमेटेड ट्रैक पर टेस्ट लिया जाएगा।
इसके तहत ऋषिकेश, हरिद्वार और कोटद्वार में ऑटोमेटेड ट्रैक का निर्माण अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि ये सभी एक माह के भीतर काम शुरू कर देंगे। मालूम हो कि रुद्रप्रयाग हादसे में ड्राइवर के पास पर्वतीय रूट पर वाहन चलाने के लिए हिल इंडोर्समेंट की अनुमति न होने का खुलासा होने के बाद परिवहन विभाग इस दिशा में गंभीर हुआ है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने सोमवार के अंक में इस पर प्रमुखता से रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें खुलासा किया गया था कि हादसा होने के चार घंटे बाद किसी अन्य व्यक्ति ने ड्राइवर की जगह हिल इंडोर्समेंट की प्रक्रिया पूरी की। सूत्रों के अनुसार रविवार को मुख्यमंत्री धामी की अफसरों के साथ होने वाली नियमित बैठक में सड़क हादसों का मुद्दा भी उठा।