सुबोध वर्मा: फूस की झोपड़ी में बचपन गुजरा, आज दूसरे को बसा रहे महल में – ETV Uttarakhand
प्रेरक व्यक्ति

सुबोध वर्मा: फूस की झोपड़ी में बचपन गुजरा, आज दूसरे को बसा रहे महल में

सुबोध वर्मा का जीवन किसी फिल्मी पटकथा सरीखा है। फर्श से अर्स तक इनकी सफलता की कहानी अब दूसरों को प्रेरित करती हैं। दुखदायी दिन और इन दिनों का संघर्ष क्या होता हैइसे सुबोध वर्मा ने शिद्दत से देखा-भोगा है। दरअसल जब जन्म लिए तो चारों ओर खुशियां थी। संपन्नता थी। लेकिन किशोरावस्था में प्रवेश करते ही पिता का देहांत हो गया। फिर संपन्नता विपन्नता में बदल गई। स्थिति इतनी खराब हो गई कि वीरचंद पटेल पथ में झोपड़ी बनाकर रहना पड़ा। संघर्ष चलता रहा। युवावस्था में सरकारी नौकरी हुई तो मां चल बसीं। इन्होंने एकबार फिर खुद को संभाला। पत्नी को बिजनेस के लिए प्रेरित किया और खुद उनके मददगार तथा संरक्षक बन गए। आज ये इंसान अपनी पत्नी श्वेता वर्मा के सहयोग से लोगों को एसबी कंसट्रक्शन के माध्यम से घर मुहैया करा रहे हैं। इनका अभी दो टाउनशिप शिवाला और रूपसपुर नहर के पास आ रहा हैजबकि कई प्रोजेक्ट कॉम्पलीट कर चुके हैं।

एसबी कंसट्रक्शन (सात्विका विन्ध्यवासिनी कंसट्रक्शन प्रइवेट लिमिटेड) रियल एस्टेट के क्षेत्र में पटना का एक बड़ा नाम है। यह पिछले एक दशक में सैकड़ों लोगों को इकोनॉमिकल से लेकर लग्जरी फ्लैट तक मुहैया करा चुका है। यह सिलसिला अनवरत जारी है। यह कंपनी अब तक लगभग एक दर्जन प्रोजेक्ट पूरा कर चुकी है। इसका पहला प्रोजेक्ट ‘देवकी निवास‘ था। श्वेता वर्मा ने यह प्रोजेक्ट ससुर को समर्पित किया था। इसलिए इसका नाम देवकी निवास था। वर्ष 2012 में एयपोर्ट के पीछे इसे मूर्त रूप दिया गया था। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि उस समय कोर्ट के आदेश पर अपार्टमेंट बनाने पर रोक लगी हुई थी। आठ-दस अपार्टमेंट को ही नियम के अनुकूल निर्माण के लिए पाया गया था जिसमें देवकी निवास भी शामिल था।

इस वजह से इसका निर्माण होता रहा। उसके बाद गायघाट में त्रिनेत्री धाम, खगौल रोड में सात्विका सफायरटाउनशिप केशव रेसीडेंसी आदि शामिल रहे। अभी ‘दुलार इनक्लेव‘ नाम से टाउनशिप चल रहा है। इसके अलावा सात्विका सफायर फेज-2 का भी निर्माण जारी है। सुबोध वर्मा कहते हैं कि एसबी कंसट्रक्शन ने इतना प्रोजेक्ट किया, लेकिन कभी लोगों को बताने की आवश्यकता नहीं पड़ी। मेरे और पत्नी के व्यवहार तथा नियम के तहत अपार्टमेंट बनाने की वजह से लोग खुद-ब-खुद जुड़ते चले गए। हमदोनों ने भी कभी किसी के साथ धोखा नहीं किया और न किसी के विश्वास को तोड़ा। ऐसे में अभी भी एसबी कंसट्रक्शन के जितने प्रोजेक्ट चल रहे हैंउसके लिए खरीददार हमें ढूंढना नहीं पड़ता। इसके लिए परेशान नहीं होना पड़ रहा है।

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