उत्तराखंड के नगर निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल एक बार फिर बढ़ा दिया गया है। इससे पहले प्रशासकों को छह माह के लिए नियुक्त किया गया था, यह समयावधि शनिवार को समाप्त हो गई थी। इसके बाद शहरी विकास विभाग ने रविवार को आनन- फानन में आदेश जारी कर प्रशासकों को तीन माह का विस्तार दे दिया।उत्तराखंड के शहरी निकायों के निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल बीती एक दिसंबर को खत्म हो चुका है। तब सरकार ने नए चुनाव नहीं होने के कारण निकायों में छह माह के लिए जिलाधिकारी को बतौर प्रशासक तैनात किया था।
उक्त समयसीमा एक जून को समाप्त हो गई। अब रविवार को विभाग ने प्रशासकों कर कार्यकाल अधिकतम तीन माह या नए बोर्ड के गठन तक बढ़ाने के आदेश जारी कर दिए हैं। इस संबंध में प्रमुख सचिव शहरी विकास आरके सुधांशु की ओर से आदेश जारी किए गए।आदेश में कहा गया कि आम चुनाव की आचार संहिता के चलते निकाय चुनाव में देर हुई है, इस कारण प्रशासकों के कार्यकाल को विस्तार देना जरूरी है। सितंबर से पहले चुनाव प्रशासकों को सामान्य तौर पर छह महीने के लिए तैनात किया जाता है।
बाजपुर का परिसीमन भी फाइनल
शहरी विकास विभाग ने बाजपुर नगर पालिका का परिसीमन भी फाइनल कर दिया है। इसी आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग यहां वोटर लिस्ट तैयार करेगा। आयोग अगले हफ्ते बाजपुर के साथ नरेंद्रनगर, हरबर्टपुर, कीर्तिनगर व रुद्रप्रयाग के लिए वोटर लिस्ट बनाने काम काम शुरू करेगा। इसके बाद रुड़की नगर निगम के साथ नवगठित सात निकायों में परिसीमन शेष रह जाता है। समझा जा रहा है कि इन निकायों में नवंबर तक दूसरे चरण में चुनाव हो सकता है।
उत्तराखंड में नगर निकायों की मतदाता संख्या 30 लाख के पार पहुंच सकती है। मई में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा वोटरों का नाम जोड़ने के लिए चलाए विशेष अभियान के बाद तकरीबन सभी निकायों में वोटर संख्या में उछाल आया है। आयोग अंतिम मतदाता सूची अगले सप्ताह तक जारी करेगा।मालूम हो आयोग ने प्रदेश के 93 निकायों के लिए अप्रैल में वोटर लिस्ट जारी की। जब कायवार वोटर लिस्ट सार्वजनिक हुई तो लगभग सभी जगह से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम दर्ज न होने समेत कई तरह की शिकायतें मिलीं।
इस पर आयोग ने मई में विशेष अभियान चलाकर छूटे नाम जोड़ने और अन्य कमियां ठीक करने के निर्देश दिए। इस आधार पर अब आयोग के पास जिलों से वोटरों का विवरण पहुंचने लगा है। इसमें सभी जिलों से बड़ी संख्या में नाम आए हैं, औसत एक निकाय में दस से 15 प्रतिशत तक मतदाता संख्या बढ़ रही है।लोकसभा चुनाव के चलते उत्तराखंड में निकाय चुनावों की प्रक्रिया में देरी हुई। इस कारण निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह या इससे पूर्व चुनाव संपन्न होने तक बढ़ाया है।