लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव में उत्तराखंड में दो संसदीय क्षेत्रों हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में जीत की सर्वाधिक उम्मीद बांधे है। पार्टी की उम्मीद का प्रमुख कारण मुस्लिम मतदाता भी हैं।
दोनों क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या देखते हुए इन्हें रिझाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। पार्टी ने इस बार न्याय पत्र के रूप में जारी किए अपने घोषणापत्र में संविधान में अल्पसंख्यकों को मिलने वाले अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी दी है तो सस्ते ऋण, विदेश में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति समेत कई तरह के लुभावने वायदे भी किए हैं।
प्रदेश की कुल जनसंख्या में अल्पसंख्यक समुदायों की भागीदारी 16 प्रतिशत से अधिक है। इसमें मुस्लिम जनसंख्या 14 प्रतिशत है, जबकि अन्य अल्पसंख्यक समुदायों में सिख 2.34 प्रतिशत और ईसाई एक प्रतिशत से कम हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद मुस्लिम आबादी अपेक्षाकृत तेजी से बढ़ी है।
चार जिलों हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल में मुस्लिम मतदाताओं की लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका देखते हुए कांग्रेस को अपने अच्छे प्रदर्शन की संभावनाएं लग रही हैं। विशेषकर दो संसदीय क्षेत्रों हरिद्वार और नैनीताल-ऊधम सिंह नगर में सामाजिक समीकरण के बूते उसे खाता खुलने की उम्मीद है।
भाजपा के मुकाबले में होने का लाभ मिलने का विश्वास
पिछले दो लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की पांच में से एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिल पाई। प्रदेश में अन्य विपक्षी दलों की तुलना में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। पार्टी के पास बड़ा जनाधार भी है। भाजपा ने जिस प्रकार हिंदू मतों पर अपनी बढ़त बनाई, उसे देखते हुए कांग्रेस को उम्मीद है कि मतों के ध्रुवीकरण की स्थिति में मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन उसे मिलेगा। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में ऐसा देखने को मिल भी चुका है।
हरिद्वार में कांग्रेस को विधानसभा की पांच सीट मिलीं, जबकि दो बसपा के खाते में गई थीं। यद्यपि बसपा को मिली दो में से एक मंगलौर विधानसभा सीट विधायक सरबत करीम अंसारी के निधन के बाद रिक्त चल रही है। कांग्रेस उम्मीद कर रही है राज्य में विपक्ष के रूप में उसकी हैसियत देखते हुए मुस्लिम मतों का झुकाव उसकी ओर बढ़ेगा।
मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से आस
हरिद्वार जिले में मुस्लिम आबादी 33 प्रतिशत से अधिक है। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत मंगलौर, झबरेड़ा, पिरान कलियर, ज्वालापुर, खानपुर, लक्सर, भगवानपुर और हरिद्वार ग्रामीण में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में माने जाते हैं। इसी प्रकार नैनीताल-ऊधम सिंह नगर संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों किच्छा, रुद्रपुर, जसपुर, काशीपुर, सितारगंज में मुस्लिम समुदाय की बड़ी आबादी है। इन दोनों ही संसदीय क्षेत्रों में सामाजिक समीकरण का लाभ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों में वृद्धि के रूप में सामने आया था।
कांग्रेस के घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों के लिए लुभावने वायदे
कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए गए घोषणापत्र से अधिक उम्मीद है। घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों को केंद्र में रखकर कई घोषणाएं की गई हैं। अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों और युवाओं को शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, सेवाओं, खेल, कला और अन्य क्षेत्रों में बढ़ते अवसरों का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहन और सहायता का वायदा किया गया है। विदेश में अध्ययन के लिए मौलाना आजाद छात्रवृत्ति को फिर से लागू करने, छात्रवृत्ति की संख्या बढ़ाने, आर्थिक सशक्तीकरण के लिए आसान ऋण देने की नीति बनाने का वायदा भी किया गया है। पार्टी ने घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों को संविधान में प्रदत्त अधिकारों की सुरक्षा पर जोर दिया है।
प्रियंका के माध्यम से मुस्लिम मतदाताओं को साधेगी पार्टी
कांग्रेस की रणनीति चुनाव प्रचार के लिए अपने स्टार प्रचारकों को उतारने में भी मुस्लिम क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की है। पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की चुनावी सभाओं के लिए ऐसे क्षेत्रों का चयन किया है। प्रियंका 13 अप्रैल को गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के रामनगर में चुनावी सभा को संबोधित करेंगी। रामनगर क्षेत्र गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के बीच में है।
रामनगर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय की बड़ी आबादी है। रामनगर में प्रियंका की सभा का लाभ गढ़वाल के साथ ही अल्मोड़ा और नैनीताल-ऊधमसिंहनगर संसदीय क्षेत्रों में भी मिलने की पार्टी को उम्मीद है। साथ ही यह ऐसा दूरस्थ क्षेत्र है, जहां अभी तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा के बड़े स्टार प्रचारक नहीं पहुंचे हैं। प्रियंका रामनगर के बाद हरिद्वार में रुड़की क्षेत्र में चुनावी सभा को संबोधित करेंगी।