Deprecated: Creation of dynamic property WP_Rocket\Engine\Preload\SitemapPreloadSubscriber::$options is deprecated in /home/u948756791/domains/etvuttarakhand.com/public_html/wp-content/plugins/wp-rocket/inc/Engine/Preload/SitemapPreloadSubscriber.php on line 26

Deprecated: Creation of dynamic property WP_Rocket\Engine\Preload\SitemapPreloadSubscriber::$sitemap_preload is deprecated in /home/u948756791/domains/etvuttarakhand.com/public_html/wp-content/plugins/wp-rocket/inc/Engine/Preload/SitemapPreloadSubscriber.php on line 27

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rocket domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u948756791/domains/etvuttarakhand.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
कभी थी धमक…अब स्थिति ऐसी अल्मोड़ा सीट पर प्रत्याशी नहीं, आज हाशिये पर उत्तराखंड क्रांति दल | ETV Uttarakhand
Wednesday, December 18, 2024
Homeउत्तराखंडकभी थी धमक...अब स्थिति ऐसी अल्मोड़ा सीट पर प्रत्याशी नहीं, आज हाशिये...

कभी थी धमक…अब स्थिति ऐसी अल्मोड़ा सीट पर प्रत्याशी नहीं, आज हाशिये पर उत्तराखंड क्रांति दल

25 जुलाई 1979 को मसूरी में पृथक पर्वतीय राज्य की अवधारणा के साथ उक्रांद का गठन हुआ। यूपी के शिक्षा निदेशक और कुमाऊं विवि के पहले कुलपति रहे गणाईगंगोली निवासी डॉ. डीडी पंत दल के संस्थापक अध्यक्ष बने।  उक्रांद गठन के मात्र एक साल में 1980 में हुए चुनाव में रानीखेत से उक्रांद के जसवंत सिंह बिष्ट जीत दर्ज कर उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे।

क्रांद ने पृथक राज्य के लिए लगातार आंदोलन किए तो कारवां भी बढ़ने लगा। वर्ष 1985 में काशी सिंह ऐरी डीडीहाट विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने। वर्ष 1989 के चुनाव में डीडीहाट की जनता ने एक बार फिर ऐरी को यूपी विधानसभा भेजा। वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में ऐरी ने डीडीहाट से जीत की हैट्रिक लगाई। यह वही दौर था, जब रानीखेत से वहां की जनता जसवंत सिंह बिष्ट को विधानसभा में भेजती रही। वर्ष 2002 में हुए विधानसभा के पहले चुनाव में कनालीछीना से काशी सिंह ऐरी जीते तो द्वाराहाट से स्वर्गीय विपिन त्रिपाठी, नैनीताल से डॉ. नारायण सिंह जंतवाल, यमनोत्री से प्रीतम पंवार को जनता ने  विधानसभा में भेजा।

2007 में दल का प्रतिनिधित्व घटकर तीन रह गया। द्वाराहाट से पुष्पेश त्रिपाठी, देवप्रयाग से दिवाकर भट्ट, नरेंद्रनगर से ओमगोपाल रावत विधायक चुने गए। ऐरी कनालीछीना से हार गए। 2012 के चुनाव में उक्रांद पी से ऐरी धारचूला से, पुष्पेश त्रिपाठी द्वाराहाट से चुनाव हार गए। उक्रांद डी के दिवाकर भट्ट भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के बावजूद चुनाव हारे। 2012 में यमनोत्री सीट से प्रीतम पंवार उक्रांद से एकमात्र विधायक चुने गए और कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में उक्रांद एक भी सीट नहीं जीत पाया। तब प्रीतम पंवार यमनोत्री से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते । बाद में भाजपा में शामिल हो गए। 2022 के चुनाव में भी दल के हाथ निराशा ही लगी।

आंदोलनों से मुंह मोड़ना पड़ा भारी

आंदोलन से जन्मी पार्टी को आंदोलनों से मुंह मोड़ना भारी पड़ा। इस दल की हालत पतली होती चली गई। आंदोलन से जन्मे इस दल ने राज्य गठन के बाद आंदोलनों से दूरी क्या बनाई, दल की धमक मंद होती चली गई। दल यदा-कदा स्थायी राजधानी के मुद्दे पर सड़कों पर उतरता है, पर इस दल के अभियानों में अब पहले जैसी बात नहीं रही।

ये फैसले भी रहे नुकसानदायक
उक्रांद के नेताओं की अति महत्वाकांक्षा ही कही जाएगी कि दल का कई बार विघटन हुआ। 1993 में समाजवादी पार्टी के साथ दल के नेताओं की नजदीकियां बढ़ना जनता के गुस्से कारण बनी। वर्ष 1994 के ऐतिहासिक उत्तराखंड आंदोलन के बाद उक्रांद और सपा के रिश्तों में खटास आ गई। वर्ष 1996 में चुनाव बहिष्कार का फैसला भी दल के खिलाफ गया। वर्ष 2007 में भाजपा, वर्ष 2012 में कांग्रेस की सरकार को समर्थन देने से भी जनता में गलत संदेश गया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments