उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर के किराए पर केवल पांच प्रतिशत जीएसटी ही लगेगा। हेली सेवाओं की जीएसटी पर लंबे समय से जारी दुविधा समाप्त हो गई है। सोमवार को दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की 54 वीं बैठक में उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस मुद्दे को उठाया।
अग्रवाल ने बताया कि राज्य में हेलीकॉप्टर सेवाओं में सीट शेयरिंग के आधार पर यात्री परिवहन पर लागू होने वाले जीएसटी की दर को पांच प्रतिशत करने को मंजूरी मिल गई है। मालूम हो कि हेली कंपनियां अपनी सेवाओं को इकोनॉमिक क्लास की मानते हुए पांच प्रतिशत जीएसटी की पैरवी करती आ रही थी।
जबकि राज्य कर विभाग इसे 18 प्रतिशत मानता था। इसे लेकर काफी दुविधा थी। हेली कंपनियों का यात्रा सीजन में सालाना कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक का रहता है। जीएसटी परिषद ने सीट शेयरिंग के आधार पर यात्री हेली सेवाओं से संबंधित कर की दर को पांच प्रतिशत रखने पर सहमति दे दी।
इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट-आईटीसी लेने की तारीख 30 नवंबर 2021 करने पर सहमति बन गई है। साथ ही रजिस्ट्रेशन को निरस्त करने और बहाली के बीच दाखिल की जाने वाली विवरणी में व्यापारी आईटीसी ले सकेंगे। इस प्रावधान को लागू करने की प्रक्रिया को सहमति मिली है। बैठक में वित्त सचिव विनोद कुमार सुमन, आयुक्त राज्य कर डा.अहमद इकबाल भी शामिल रहे।
उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर उठा रहे थे मांग
हेली सेवाओं से जीएसटी को कम करने की मांग पिछले काफी समय से चल रही है। उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर इस मांग को उठाते आ रहे हैं। दरअसल, जिस प्रकार उत्तराखंड में केदारनाथ में बड़े पैमाने पर हेली सेवाओं का उपयोग होता है। उसी प्रकार जम्मू कश्मीर में वैष्णो देवी में पिछले कई वर्षों से हेली सेवाएं संचालित हैं। पांच प्रतिशत का मानक लागू होने से हेली कंपनियों पर भी किराया एक सीमा तक रखने का दबाव रहेगा।