उत्तराखंड में बिजली, उपभोक्ताओं को महंगाई का झटका दे सकती है। इस संभावित झटके के पीछे, मनेरी भाली जलविद्युत परियोजना-दो से जुड़े मामले में यूजेवीएनएल के अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (अपटेल) में केस जीतना, वजह बन रहा है। यदि अपटेल का फैसला लागू हुआ तो प्रदेश में इसका परिणाम, महंगी बिजली दरों के रूप में सामने आएगा। आदेश को लागू करने से पहले विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं से आपत्ति और सुझाव मांगे हैं।
क्या है मामला दरअसल, राज्य गठन के समय बिजली परियोजनाओं के विकास के लिए पैसा जुटाया गया। इसके तहत ऊर्जा विकास निधि के नाम पर आमजन से सेस वसूला गया। वर्ष 2008 में तत्कालीन सरकार ने सेस के रूप में मिली राशि में से 351 करोड़ रुपये मनेरी भाली फेस-दो योजना के लिए बतौर इक्विटी यूजेवीएनएल को आवंटित किए।
बाद में यूजेवीएनएल ने इस परियोजना से बिजली उत्पादन शुरू होने के संबंध में सभी खर्चों का आकलन कर प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को सौंप दी। इस प्रस्ताव में उक्त 351 करोड़ रुपये को रिटर्न ऑफ इक्विटी के रूप में लौटाने की भी व्यवस्था की गई थी। लेकिन बिजली का टैरिफ तय करने के दौरान आयोग ने इक्विटी के 351 करोड़ पर रिटर्न ऑफ इक्विटी को जोड़ने से इनकार कर दिया। आयोग का तर्क था कि उक्त 351 करोड़ रुपये, सेस के रूप में जनता से ही लिए गए थे।
ऐसे में अब उसकी भरपाई के लिए रिटर्न ऑफ इक्विटी के रूप में जनता पर फिर से बोझ नहीं डाला जा सकता। आयोग के इस फैसले को यूजेवीएनएल ने अपटेल में चुनौती दी। अपटेल ने आयोग के फैसले को पलटते हुए रिटर्न ऑफ इक्विटी को मनेरी भाली योजना के टैरिफ में जोड़ने की मंजूरी दी।
सितंबर तक आयोग को लिखित और ईमेल secy.uerc@gov.in पर आपत्ति भेजी जा सकती है। एक अक्तूबर को आयोग में सुनवाई होगी।
सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही दी जा सकती है चुनौती
अपटेल के आदेश को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में कौन चुनौती देगा, इसके भी बेहद सीमित विकल्प हैं। अपना फैसला पलटे जाने पर विद्युत नियामक आयोग भी सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। हालांकि आयोग के स्तर पर चुनौती देने के बहुत कम मामले आज तक सामने आए हैं। दूसरा इस मामले में उपभोक्ता के रूप में इंडस्ट्री एसोसिएशन भी सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।
कैलकुलेशन में जुटा नियामक आयोग
इस फैसले का आम जनता पर क्या असर पड़ेगा, विद्युत नियामक आयोग इसकी पड़ताल में जुट गया है। रिटर्न ऑफ इक्विटी को 16.5 प्रतिशत की दर से 2008 से लौटाना होगा। जो 351 करोड़ की इक्विटी का तमाम अन्य चीजों को जोड़ते हुए डेढ़ से दो हजार करोड़ के करीब बैठेगा। विद्युत नियामक आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष एमएल प्रसाद ने बताया कि यदि ये आदेश लागू हुआ, तो इसका सीधा असर बिजली दरों पर पड़ेगा। दरें 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं।
सब्सिडी देने का प्रावधान
इस मामले में आम जनता को सरकार के स्तर पर राहत दी जा सकती है। यूजेवीएनएल से रिटर्न ऑफ इक्विटी के रूप में मिलने वाले पैसे को सब्सिडी के रूप में एडजस्ट कर राहत दे सकती है। हालांकि इसके लिए वित्त विभाग की मंजूरी जरूरी होगी।
अपटेल ने विद्युत नियामक आयोग के फैसले को पलट दिया है। इस फैसले के लागू होने का बिजली दरों पर बड़ा असर पड़ेगा। फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने से लेकर अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है