Tuesday, November 11, 2025
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युवा उत्तराखंड को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी स्वर्णिम भविष्य की शुभकामनाएं, विधानसभा के विशेष सत्र को किया संबोधित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु विधानसभा के विशेष सत्र में शामिल होने के लिए देहरादून पहुंची। जहां उन्होंने उत्तराखंड सरकार के महिला सशक्तीकरण के प्रयासों की सराहना की है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड राज्य की स्थापना की रजत जयंती के ऐतिहासिक अवसर पर, लोकतंत्र के इस मंदिर में विधान सभा के विशेष सत्र में आप सबके बीच आकर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है। इस अवसर पर मैं उत्तराखंड विधान सभा के पूर्व और वर्तमान सदस्यों और राज्य के सभी निवासियों को बधाई देती हूं।

राष्ट्रपति ने कहा अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान, उत्तराखंड के जनमानस की आकांक्षा के अनुरूप, बेहतर प्रशासन और संतुलित विकास की दृष्टि से, वर्ष 2000 के नवंबर महीने में इस राज्य की स्थापना की गई। यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि विगत 25 सालों की यात्रा के दौरान उत्तराखंड के लोगों ने विकास के प्रभावशाली लक्ष्य हासिल हैं।

राष्ट्रपति मुर्मु ने आगे कहा कि पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य-सेवा और शिक्षा के क्षेत्रों में राज्य ने सराहनीय प्रगति की है। डिजिटल और फिजिकल कनेक्टिविटी के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के क्षेत्रों में भी विकास हुआ है। उन्होंने कहा विकास के समग्र प्रयासों के बल पर राज्य में ह्यूमन डेवलपमेंट इंडिकस के कई मानकों पर सुधार हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि राज्य में साक्षरता बढ़ी है, महिलाओं की शिक्षा में विस्तार हुआ है, मातृ एवं शिशु-मृत्यु-दर में कमी आई है और स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने महिला सशक्तीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की।

राष्ट्रपति ने कहा महिला सशक्तीकरण के प्रयासों से सुशीला बलूनी, बछेन्द्री पाल, गौरा देवी, राधा भट्ट और वंदना कटारिया जैसी असाधारण महिलाओं की गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में आगे कहा कि ऋतु खंडूरी भूषण को राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त करके उत्तराखंड विधान सभा ने अपना गौरव बढ़ाया है। “मैं चाहूंगी कि सभी हितधारकों के सक्रिय प्रयास से उत्तराखंड विधानसभा में महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी हो’।

राष्ट्रपति ने कहा उत्तराखंड की इस देवभूमि से अध्यात्म और शौर्य की परम्पराएं प्रवाहित होती रही हैं। भारत का यह पवित्र भू-खंड अनेक ऋषि-मुनियों की तपस्थली रहा है। कुमाऊं रेजिमेंट और गढ़वाल रेजिमेंट के नाम से ही यहां की शौर्य परंपरा का परिचय मिलता है। यहां के युवाओं में भारतीय सेना में सेवा करके मातृ-भूमि की रक्षा करने के प्रति उत्साह दिखाई देता है।

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि उत्तराखंड की यह शौर्य परंपरा सभी देशवासियों के लिए गर्व की बात है। भारत की लोकतांत्रिक परंपरा को शक्ति प्रदान करने में उत्तराखंड के अनेक जन-सेवकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने ‘नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता’ के निर्माण के लिए संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत प्रावधान किया था।

राष्ट्रपति ने कहा संविधान निर्माताओं के नीति निर्देश के अनुरूप UCC विधेयक लागू करने से जुड़े उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों की मैं सराहना करती हूं। मुझे बताया गया है कि उत्तराखंड विधान सभा में 550 से अधिक विधेयक पारित किए गए हैं। उन विधेयकों में उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, उत्तराखंड जमीन्दारी विनाश और भूमि व्यवस्था विधेयक तथा नकल विरोधी विधेयक शामिल हैं। पारदर्शिता, नैतिकता और सामाजिक न्याय से प्रेरित ऐसे विधेयकों को पारित करने के लिए मैं अतीत और वर्तमान के सभी विधायकों की सराहना करती हूं।

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि उत्तराखंड की 25 साल की विकास-यात्रा, विधायकों के योगदान से ही संभव हो पाई है। मैं आशा करती हूं कि जन-आकांक्षाओं को आप सब सक्रिय अभिव्यक्ति देते रहेंगे। मुझे विश्वास है कि ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना के साथ आप सब राज्य के साथ-साथ देश को विकास-पथ पर तेजी से आगे ले जाएंगे।

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