हाईकोर्ट शिप्टिंग की कवायद पर रार थमने का नाम नहीं ले रही है। लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच, मंडल के पूर्व पालिकाध्यक्षों और पूर्व मेयरों का कहना है कि हाईकोर्ट को नैनीताल से अगर शिफ्ट करना आवश्यक ही है तो इसे कुमाऊ में ही शिफ्ट किया जाए। उनका कहना है कि जिस तरह से सचिवालय और राजधानी के कार्यों के लिए लोग देहरादून जा सकते हैं उसी तरह हाईकोर्ट से संबंधित कार्यों से लिए वे नैनीताल भी आ सकते हैं।
हाईकोर्ट हल्द्वानी या रुद्रपुर कहीं भी स्थापित किया जाए, लेकिन यह कुमाऊं में ही रहना चाहिए। अगर ऊधमसिंह नगर में हाईकोर्ट स्थापित हो तो और भी अच्छा है। रुद्रपुर खुरपिया फार्म में हाईकोर्ट स्थापित करने के लिए पर्याप्त जगह है। बेहतर, सड़क, एयर कनेक्टिविटी भी है। – रामपाल सिंह, निवर्तमान मेयर रुद्रपुर।
काशीपुर और रामनगर के बीच का क्षेत्र उच्च न्यायालय की स्थापना के लिए सबसे बेहतर स्थान है। यहां उच्च न्यायालय की स्थापना अगर की जाती है तो समूचे कुमाऊं, तराई क्षेत्र और समूचे गढ़वाल क्षेत्र के वादकारियों को लाभ मिलेगा। – उषा चौधरी निवर्तमान मेयर, नगर निगम, काशीपुर।
– राजेंद्र सिंह रावत, निवर्तमान पालिकाध्यक्ष पिथौरागढ़
नैनीताल में स्थापित हाईकोर्ट कुमाऊं और गढ़वाल का केंद्र है। अब यहां से इसे शिफ्ट करना जनहित में नहीं है। इससे बनी बनाई व्यवस्था बिगड़ेगी। लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। अगर कोर्ट शिफ्ट होती है तो लोगों को लंबी दौड़ लगानी पड़ेगी। – गोविंद वर्मा,पूर्व पालिकाध्यक्ष, लोहाघाट।
मैं हाईकोर्ट के नैनीताल में ही रहने का पक्षधर हूं। हाईकोर्ट के नगर में होने के बाद प्रशासनिक कार्यों को गति मिली है। सुशासन और बेहतर हुआ है। कोर्ट के दिशा निर्देश से यहां की यातायात व्यवस्था बेहतर हुई है। वरना दो दशकों में पर्यटन के विस्तार व वाहनों के दबाव के कारण नैनीताल की स्थिति न जाने क्या होती। – घनश्याम लाल साह पूर्व पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष, नैनीताल।
उउत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में हाईकोर्ट की ऋषिकेश में बेंच बनाना औचित्यपूर्ण नहीं है। जनमत सर्वेक्षण करवाना कुमाऊं व गढ़वाल के लोगों के बीच परस्पर संबंधों में कटुता पैदा करना है। सती ने कहा कि इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी अपना मत स्पष्ट करना चाहिए, जिससे उक्त प्रकरण पर पूर्ण विराम लग सके। – केवल सती राज्य आंदोलनकारी।