कोंग्रस जाने तो BJP आने वाले नेताओं से परेशान, लाेकसभा चुनाव में खुद को आगे रखने की कंप्टीशन से बढ़ी टेंशन – ETV Uttarakhand
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कोंग्रस जाने तो BJP आने वाले नेताओं से परेशान, लाेकसभा चुनाव में खुद को आगे रखने की कंप्टीशन से बढ़ी टेंशन

लोकसभा चुनाव के बीच दलबदल का दौर जोरों पर चल रहा है। पर भीमताल विधानसभा क्षेत्र में दलबदल के कारण कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा भी परेशान हो गई है। दरअसल भीमताल विधानसभा सीट पर कांग्रेस टिकट के दावेदार रहे छह में से तीन नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

वहीं भाजपा में इतने नेताओं की घर वापसी हो गई है कि यहां खुदको आगे रखने का कंप्टीशन पार्टी के लिए नई मुसीबत बन गया है। इस कारण भाजपा में गुटबाजी बढ़ गई है जो साफ तौर पर चुनाव प्रचार के दौरान भी नजर आ रही है।

भीमताल में कांग्रेस छोड़कर जाने वाले लोग बढ़ते जा रहे हैं। पूर्व विधायक दान सिंह भंडारी के साथ कृपाल मेहरा व पुष्कर मेहरा भाजपा में जा चुके हैं। दान सिंह विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी थे जबकि दो अन्य भी दावेदार रहे।

पुराने कांग्रेसी रहे ब्लॉक प्रमुख डॉ. हरीश बिष्ट पूर्व में भाजपा में गए थे। उसके बाद कांग्रेस में लौटे पर एक बार फिर भाजपा में चले गए हैं। ऐसे में लोकसभा चुनावों के बीच कांग्रेस के पहचाने हुए नामों के दलबदल करने से पार्टी असहज स्थिति में है।

कांग्रेस जिलाध्यक्ष राहुल छिमवाल के अनुसार पार्टी के असली कार्यकर्ता दलबदल से कोई फर्क नहीं पड़ता। कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश जोशी इस लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने जा रहे हैं। जनता कांग्रेस के मुद्दों के साथ है।

भाजपा में नेताओं की भीड़ बढ़ने से बैचेनी
कांग्रेस से आए चेहरों के साथ ही भाजपा से पूर्व में निष्कासित मनोज साह की वापसी हो चुकी है। पूर्व में निर्दलीय व कांग्रेसी रहे मौजूदा विधायक राम सिंह कैड़ा भी दो साल पहले भाजपा में शामिल हुए हैं। इसके अलावा पार्टी के पहले ही कई पहचाने हुए चेहरे भी हैं।

ऐसे में भीमताल विधानसभा में भाजपा के भीतर कई गुट बन गए हैं। स्थिति यह है कि एक नेता दूसरे के कार्यक्रम में नहीं पहुंच रहे। पार्टी के मूल कैडर से जुड़े पुराने कार्यकर्ताओं के बीच भी दलबदल को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

सांसद मंच से कह चुके मिलकर चलने की बात

बीते दिनों लेटीबुंगा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की रैली हुई। कार्यक्रम में खुद सांसद अजय भट्ट ने भरे मंच से सभी नेताओं को गले मिलकर चलने की बात कह गए। दरअसल लगातार दलबदल से नेताओं के बीच चल रही रस्साकस्सी को देखते हुए उन्हें यह बात खुलकर कहनी पड़ गई।

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