बाबा नीब करौरी के भक्तों और नैनीताल आने वाले पर्यटकों के लिए जल्द ही एक और बड़ी सुविधा मिलने की संभावना है. भविष्य में पर्यटक नैनीताल से कैंची धाम तक का सफर रोपवे के माध्यम से तय कर सकेंगे. जिला पर्यटन विभाग ने इस महत्वाकांक्षी योजना का प्रस्ताव तैयार कर राज्य पर्यटन विभाग को भेज दिया है.
रोपवे निर्माण के लिए संभावित मार्ग, लागत और पर्यावरणीय पहलुओं का अध्ययन प्रस्ताव में शामिल किया गया है. जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि नैनीताल होटल एसोसिएशन और पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों की ओर से लंबे समय से यह मांग की जा रही थी कि बाबा नीब करौरी महाराज (नीम करोली) के प्रसिद्ध कैंची धाम तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक और सुविधाजनक मार्ग विकसित किया जाए. वर्तमान में नैनीताल से कैंची धाम की दूरी सड़क मार्ग से करीब 17 किलोमीटर है, जिसे तय करने में पर्यटकों को काफी समय लगता है, खासकर भीड़भाड़ वाले दिनों में.
परियोजना की लागत का आकलन अभी किया जा रहा है. शुरुआती अनुमान के अनुसार यह करोड़ों रुपये में हो सकता है. चूंकि यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील है, इसलिए रोपवे निर्माण से पहले वन एवं पर्यावरण विभाग की मंजूरी आवश्यक होगी. प्रस्ताव में यह सुनिश्चित किया गया है कि निर्माण कार्य से जैव विविधता और स्थानीय पारिस्थितिकी को नुकसान न हो.
रोपवे प्रस्ताव की खबर फैलते ही स्थानीय व्यापारियों, होटल संचालकों और श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है. कैंची धाम में हर साल जून महीने में आयोजित वार्षिक मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. इससे नैनीताल-हल्द्वानी-कैंची मार्ग पर भारी जाम लगता है. रोपवे इस भीड़ को भी नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा. यदि सरकार इस परियोजना को मंजूरी देती है, तो यह उत्तराखंड के पर्यटन ढांचे में एक ऐतिहासिक पहल साबित हो सकती है. नैनीताल और कैंची धाम के बीच यह रोपवे न केवल आवाजाही को आसान बनाएगा, बल्कि इस क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र भी बना देगा.