भारतीय जनता पार्टी ने केदारनाथ उपचुनाव के लिए आशा नौटियाल को मैदान में उतारा है। पूर्व विधायक आशा नौटियाल साल 2002 में केदारनाथ विधानसभा सीट पर चुनाव जीता और इसी के साथ वो यहां से जीतने वाली पहली महिला बन विधायक बनी। जहां बीजेपी के लिए केदारनाथ साख का सवाल बन गया है तो वहीं आशा नौटियाल के लिए भी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
बीजेपी ने आशा नौटियाल को बनाया उम्मीदवार
बीजेपी ने पूर्व विधायक आशा नौटियाल को केदारनाथ उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। आशा नौटियाल वर्तमान में भाजपा की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत साल 1996 में की थी। 1996 में उन्होंने पहली बार वो ऊखीमठ वार्ड से निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुनी गई।
जिसके बाद उन्होंने साल 1997-98 में भाजपा ने उन्हें जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद साल 1999 में वो महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष चुनी गई। अपने व्यवहार के कारण उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता थी। इसी के साथ वो केदारनाथ विधानसभा से जीतने वाली पहली महिला बनी। उन्होंने 2002 में कांग्रेस प्रत्याशी दिवंगत विधायक शैलारानी रावत को हराया था।
साल 2007 में फिर से बनी विधायक
2002 में विधायक चुने जाने के बाद साल 2007 में वो एक बार फिर से मैदान में उतरी। इस बार उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सिंह नेगी को पराजित कर जीत हासिल की। इसके बाद साल 2012 में वो लगातार तीसरी बार बीजेपी से केदारनाथ विधानसभा के लिए प्रत्याशी बनी। लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2012 में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी शैलारानी रावत ने मात दी थी। इसके बाद साल 2016 में राजनीतिक उलटफेर हुआ और शैलारानी रावत भाजपा में शामिल हो गई। इसके बाद साल 2017 में भाजपा ने शैलारानी रावत को टिकट दे दिया तो आशा नौटियाल ने पार्टी से बगावत की और निर्दलीय ताल ठोक दी। इस साल चुनावी घमासान देखने को मिला और कांग्रेस से मनोज रावत विधायक बन गए। इस चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे कुलदीप रावत दूसरे स्थान पर रहे।
भाजपा में फिर से हुई घर वापसी
2017 के विधानसभा चुनावों के कुछ ही समय बाद आशा नौटियाल ने घर वापसी की और भाजपा ज्वाइन कर ली। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर शैलारानी रावत को अपना प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत भी हासिल की। इस दौरान आशा नौटियाल को महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। तब से वो इसी पद पर हैं और अब लंबे समय बाद उन्हें फिर से हाईकमान ने मौका दिया है।