कैग ने विभिन्न विभागों के खर्च की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि अधिकांश धन राशि का उपयोग आकस्मिकता के आधार पर किया जा रहा है। एक साल के दौरान केंद्र से राज्य को केंद्रीय अंश के रूप में 4916 करोड़ प्राप्त हुए जबकि राज्य अंश 1303 करोड़ मिले। 6373 करोड़ की कुल राशि प्रमाणित किए गए आकस्मिक बिलों के आधार हस्तांतरित की गई।
कैग कार्यालय को इस संदर्भ में बिल वाउचर प्रस्तुत नहीं किए गए। रिपोर्ट के अनुसार पीएफएमएस पोर्टल पर 31 मार्च 2023 तक 6373 करोड़ की राशि में से 3331 करोड़ की राशि बिना खर्च किए पड़ी है। शेष 3042 करोड़ के बिल बाउचर नहीं मिले हैं।
उपयोगिता प्रमाणपत्रों का इंतजार: कैग के अनुसार राज्य में विभिन्न विभागों की 2247 करोड़ की कुल 536 परियोजनाओं के अभी तक उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किए गए।कैग ने कहा कि उपयोगिता प्रमाणपत्र न दिए जाने से यह साफ नहीं हो पाया कि अनुदान का उपयोग तय कार्यों के लिए ठीक से किया गया है या नहीं। उपयोगिता प्रमाणपत्र न मिलने से पैसे के दुरुपयोग की आशंका रहती है।
लोनिवि की 26 परियोजनाएं छह साल लेट हुईं
गैरसैंण। कैग के अनुसार लोक निर्माण विभाग में 317 करोड़ की 26 परियोजनाएं अपने तय समय से छह साल तक लेट चल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार विभाग को 323 करोड़ की 91 परियोजनाएं 2022- 23 तक पूरी होनी थी, लेकिन ये परियोजनाएं अभी तक अधूरी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग की 76 करोड़ की 20 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनके पूरे होने का वर्ष ही ज्ञात नहीं है। इसके साथ ही राज्य सरकार को 23 करोड़ की धनराशि प्रतिभूति कमीशन के रूप में मिलनी थी, लेकिन इसमें से 18 करोड़ की राशि प्राप्त नहीं हो पाई।
एक साल में कर चोरी के 203 मामले
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022- 23 में कर चोरी के 203 मामले सामने आए। 254 मामलों की जांच पहले से चल रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, करदाताओं को करीब 22 करोड़ रुपये लौटाए गए, जबकि यह राशि का भुगतान किया जाना था।
कर्मचारियों का वेतन खर्च लगातार बढ़ा
उत्तराखंड में कर्मचारियों के वेतन का खर्च लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2018 में कर्मियों के वेतन पर 11 हजार 525 करोड़ रुपये खर्च हुए जबकि वर्ष 2023 में कर्मचारियों के वेतन पर 13 हजार 515 करोड़ रुपये का व्यय हुआ।
आकस्मिक निधि से वेतन पर खर्च किए 139 करोड़
कैग ने आकस्मिक निधि के तहत राज्य में वेतन, कार्यालय व्यय, यात्रा व्यय, मजदूरी, ईंधन पर खर्च किए जाने की परिपाटी को गलत माना है। रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के नियमित भुगतान के लिए आकस्मिक निधि से 139 करोड़ खर्च किए गए जिससे राज्य के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
डीएम देहरादून के व्यक्तिगत खाते में 95 करोड़ जमा
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2023 तक 129 करोड़ 25 व्यक्तिगत खातों में जमा थे। 31 मार्च, 2023 तक जिलाधिकारी देहरादून के एक व्यक्तिगत जमा खाते में 95 करोड़ की राशि पड़ी थी। कैग के संज्ञान में यह मामला सामने आने के बाद जून 2023 में इस खाते को बंद कर दिया गया। कुछ ऐसे भी खाते थे जिसमें पैसा काफी सालों तक पड़ा रहा। जबकि नियमों के अनुसार तीन साल तक खर्च न होने पर खाता बंद कर दिया जाना चाहिए था।
विधानसभा की अनुमति के बिना 48654 करोड़ रुपये खर्च किए
उत्तराखंड में राज्य गठन के बाद से सरकारें बजट का एक बड़ा हिस्सा विधानसभा की मंजूरी के बिना ही खर्च कर रही हैं। गुरुवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक की ओर से तैयार रिपोर्ट में इस पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 204 और 205 के अनुसार बजट खर्च या अनुदान आधिक्य पर राज्य विधानसभा की मंजूरी जरूरी है। लेकिन राज्य में ऐसा नहीं किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2022 23 में ही 896 करोड़ की धनराशि को नियमित नहीं कराया गया। यह सन 2005 से 2022 तक का 47,758 करोड़ भी आज तक नियमित नहीं कराया गया है।
डीडीओ के खाते में जमा 514 करोड़
कैग की रिपोर्ट के अनुसार आईएमएफ पोर्टल की जांच से पता चला कि 2022- 23 के दौरान डीडीओ ने 514 करोड़ की राशि अपने खातों में हस्तांतरित कर दी। कैग ने कहा कि इन स्वयं के खातों में पैसा जमा कराए जाने की निगरानी किए जाने की जरूरत है।
864 करोड़ के उपयोगिता प्रमाणपत्र पेश नहीं किए गए
कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य को मिले विभिन्न अनुदानों के खर्च के विभाग उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दे पा रहे हैं। 31 मार्च 2023 तक करीब 864 करोड़ की राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं हो पाए। कैग ने इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए इसे गलत माना है। कैग ने कहा कि बजट खर्च पर उपयोगिता प्रमाण पत्र इस बात के प्रमाण होते हैं कि उक्त राशि का सही उपयोग किया गया है।