अंग्रेजों के जमाने के कानूनों से मिली मुक्ति, हत्या-धोखाधड़ी, रेप अपराधों में केस दर्ज कराने को मिलेंगी से सुविधाएं | ETV Uttarakhand
Tuesday, February 18, 2025
Homeउत्तराखंडअंग्रेजों के जमाने के कानूनों से मिली मुक्ति, हत्या-धोखाधड़ी, रेप अपराधों में...

अंग्रेजों के जमाने के कानूनों से मिली मुक्ति, हत्या-धोखाधड़ी, रेप अपराधों में केस दर्ज कराने को मिलेंगी से सुविधाएं

एक जुलाई यानी आज से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता लागू होने जा रही है। इसके तहत तमाम धाराओं को भी बदल दिया गया है। अब बदली हुई धाराओं में ही पुलिस थानों में मुकदमे दर्ज किए जाएंगे।साथ ही कानून में हुए नए बदलाव के तहत ही कोर्ट में केस लड़े जाएंगे। वहीं इस बदलाव का स्वागत तो सभी ने किया है, लेकिन यह बदलाव पुलिस हो या अधिवक्ता सभी के लिए एक चुनौती बन गया है। नई धाराओं और अधिनियमों में हुए बदलावों ने सभी को उलझा कर रख दिया है।

हत्या, दुष्कर्म, धोखाधड़ी, देशद्रोह, महिला संबंधी अन्य अपराध व कई तरह के गंभीर अपराधों की धाराएं बदल दी गईं हैं। अभी तक राज्य के सभी पुलिसकर्मियों को इसकी ट्रेनिंग दी जा चुकी है और मंगलवार से अधिवक्ताओं की भी ट्रेनिंग शुरू होने जा रही है।आज ऐतिहासिक दिन है। अंग्रेजों के जमाने के कानूनों से देश को मुक्ति मिल गई है। पूरे देश में नये आपराधिक कानून लागू हो गये हैं। इनके क्रियान्वयन के लिए पुलिस को 20 करोड़ रुपए का बजट भी जारी कर दिया गया है। नये कानून दंड के लिए नहीं न्याय को ध्यान में रखते हुए बने हैं।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

नये कानूनो के साथ देश में स्वदेशी क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम लागू हो गया। अब तक नये कानून में तीन मुकदमे दर्ज हुई हैं। ई-एफआईआर की भी सुविधा मिलेगी। विवेचना और ट्रायल का समय घटेगा।

अभिनव कुमार, डीजीपी

दूर की जानी चाहिए खामियां
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीसीएस रावत ने कहा कि अभी तक हमारी न्याय संहिता पुरानी हो चुकी थी। कई धाराएं निष्प्रयोजय व निष्प्रभावी हो चुकी थीं। कई धाराओ में वर्तमान परिस्थितियों में संशोधन किया जाना जरूरी था। वहीं नए कानूनों में खामियां भी हैं। इन्हें दूर किया जाना चाहिए।

अधिवक्ताओं को मिलेगा प्रशिक्षण
हल्द्वानी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष किशोर पंत बताते हैं कि नए कानून और उनकी धाराएं भले ही दिक्कतें बनकर सामने आएं। हम उनके लिए तैयार हैं। अधिवक्ताओं की समस्याओं को समझते हुए दो जुलाई से पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हल्द्वानी जजी कोर्ट में शुरू कराया जा रहा है।

तीन साल पीछे हुए अधिवक्ता

नई धाराओं के क्रियान्वन और प्रक्रिया को लेकर अधिवक्ताओं से बात की गई। हल्द्वानी कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजन सिंह मेहरा बताते हैं कि वकील अपनी प्रैक्टिस के कम से कम तीन साल पीछे चले गए हैं। कहा कि तीन सालों का काम तीन या पांच दिन की ट्रेनिंग से नहीं हो सकता।

पुरानी,नई धाराओं के मामले एक साथ कैसे
उच्च न्यायालय के अधिवक्ता पीयूष गर्ग ने कहा कि बदलाव होना जरूरी है। हालांकि भारतीय साक्ष्य संहिता और नागरिक सुरक्षा संहिता में हुए बदलाव्र ्न शुरुआत में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। उलझन तब आएगी जब कोर्ट में पुरानी धाराओं के तहत नई धाराओं के मामले भी चलाए जाएंगे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments