उत्तराखंड में ऊर्जा की अपार संभावना है. यही वजह है कि राज्य सरकार ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर काम करने पर जोर दे रही है, ताकि भविष्य में ऊर्जा की जरूरत को आसानी से पूरा किया जा सके. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार जियोथर्मल स्प्रिंग्स (भूतापीय झरने) के जरिए ऊर्जा उत्पादन पर जोर दे रही है.
जियोथर्मल स्प्रिंग्स परियोजनाओं को धरातल पर उतरने के लिए राज्य सरकार ने जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी- 2025 भी लागू की है, जिसके तहत अब उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (UJVNL) तपोवन स्थित जियोथर्मल स्प्रिंग पर जल्द ही ड्रिलिंग का काम शुरू करने जा रही है, जिसकी कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया अंतिम चरण में है.
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की ओर से किए गए अध्ययन के अनुसार प्रदेश में 40 चिन्हित जियोथर्मल स्प्रिंग्स है. हाल ही में ओएनजीसी की ओर से भी प्रदेश में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग्स को लेकर अध्ययन किया गया, जिसमें ये कहा गया कि प्रदेश में करीब 62 जियोथर्मल स्प्रिंग्स मौजूद है. यही वजह है कि राज्य सरकार भी जियोथर्मल स्प्रिंग्स के जरिए ऊर्जा उत्पादन पर जोर दे रही है. इसीलिए जियोथर्मल स्प्रिंग से ऊर्जा उत्पादन की संभावना को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने आइसलैंड की एक कंपनी वर्किस के साथ एमओयू भी साइन किया था, ये कंपनी तपोवन स्थित जियोथर्मल स्प्रिंग की प्री फिजिबिलिटी टेस्ट भी कर चुकी है.
आइसलैंड की कंपनी वर्किस की ओर से प्री फिजिबिलिटी टेस्ट कराए जाने के बाद अब उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग साइट पर ड्रिलिंग करने के लिए आवेदन किया था, जिस पर उत्तराखंड सरकार ने सहमति भी जाता दी है. अब ऊर्जा विभाग तपोवन स्थित जियोथर्मल स्प्रिंग साइट पर ड्रिलिंग के लिए यूजेवीएनएल को सौंपने संबंधित कागजी कार्रवाई कर रही है. क्योंकि ड्रिलिंग का सारा खर्च उत्तराखंड सरकार को ही वहन करना है. ऐसे में संभावना बताई जा रही है कि उत्तराखंड की ओर से कागज़ी कार्रवाई पूरी होने के बाद यूजेवीएनएल की ओर से तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग साइट पर ड्रिलिंग की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी.
प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग आर मीनाक्षी सुंदरम के मुताबिक उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड को जल्द ही तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग्स पर ड्रिलिंग का काम आवंटन कर दिया जाएगा. इसके अलावा ओएनजीसी ने भी जियोथर्मल स्प्रिंग्स की कुछ साइटें मांगी है. इस बारे में ओएनजीसी के साथ अलग से बैठक की जाएगी. प्रदेश में तमाम जियोथर्मल स्प्रिंग्स मौजूद है, जिसे चलते मल्टीपल एजेंसी की जरूरत है, जो वहां पर काम करें. यही वजह है कि टीएचडीसी से भी बातचीत कर रहे हैं कि वो भी कुछ साइट ले. ताकि एक साथ दो तीन साइट पर काम शुरू हो सके.
