23 लाख खर्च करने के बाद भी नहीं मिला पानी, उत्तराखंड में भीषण गर्मी में मैदानों से लेकर पहाड़ों तक पेयजल संकट – ETV Uttarakhand
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23 लाख खर्च करने के बाद भी नहीं मिला पानी, उत्तराखंड में भीषण गर्मी में मैदानों से लेकर पहाड़ों तक पेयजल संकट

उत्तराखंड में जून महीने में भीषण गर्मी पड़ रही है। तापमान में इजाफा होने के साथ ही पेयजल संकट भी गहराने लगा है। देहरादून, अल्मोड़ा, पौड़ी, उत्तरकाशी, हल्द्वानी, नैनीताल, विकासनगर, आदि शहरों में पीने के पानी की कमी से लोग काफी परेशान हैं। पेयजल की मांग को लेकर कई शहरों में लोग प्रदर्शन भी कर चुके हैं।देहरादून के कई इलाकों में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। मंगलवार को भी पानी की सप्लाई सुचारु नहीं होने से लोग परेशान रहे। राजपुर रोड, रायपुर रोड, कांवली रोड, नेशविला रोड, कैंट रोड सहित कई जगह पानी की किल्लत है।

बांदल और शिखर फॉल स्रोत में लगातार पानी घटने के कारण इन इलाकों में आपूर्ति पर असर पड़ रहा है। जबकि, भूजल स्तर कम होने के कारण कुछ जगह ट्यूबवेल भी नहीं चले। पथरियापीर, लाडपुर, रायपुर, स्मिथनगर में पानी की सबसे ज्यादा दिक्कत है। यहां टैंकरों से भी सप्लाई नहीं हो पा रही है।क्योंकि, जल संस्थान के पास टैंकर भरने तक को पानी नहीं है। शहरी क्षेत्र के एसई राजीव सैनी ने बताया कि स्रोतों में पानी कम होने के साथ भूजल स्तर नीचे चले जाने से सप्लाई में दिक्कत आ रही है। जितना संभव हो पा रहा है, टैंकरों से सप्लाई की जा रही है। शहर में कई जगह नौबत यहां तक आ गई है कि भीषण गर्मी में पानी की किल्लत के कारण लोगों को कूलर चलाने में भी दिक्कत आ रही है।

पौड़ी के 5 ब्लॉकों में पानी के लिए मचा हाहाकार
पौड़ी, संवाददाता। भीषण गर्मी का कहर जिले की पेयजल योजनाओं पर पड़ रहा है। जून महीने में बारिश नही होने के कारण हालत बीते साल से भी अधिक खराब हो रहे हैं। जिले के बीरोंखाल, एकेश्वर, कल्जीखाल, पोखड़ा और कोट में उपभोक्ताओं को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।

पौड़ी जिले की 24 योजनाएं से जुड़े 32 गांवों में दिक्कतें बनीं है। इसमें कोटद्वार की 16 योजनाएं तो पौड़ी की 6 योजनाएं शामिल है। इन योजनाओं से जुड़े उपभोक्ताओं को पेयजल मुहैया कराने के लिए जलसंस्थान ने 17 पानी के टैंकर लगाए हैं।मंगलवार को जिला मुख्यालय पौड़ी का ही पारा 35 पार हो गया। पेयजल की बात की जाए तो जंगलों की आग ने भी स्रोतों के डिस्चार्ज को कम किया। इन दिनों गांवों में जहां प्रवासी भी लौटे हैं, वहीं मंदिरों में पूजा अनुष्ठान के कार्यक्रमों का भी जगह-जगह आयोजन होने से पानी खपत में इजाफा हो गया है।

जबकि दूसरी ओर पेयजल योजनाओं के स्रोतों पर आए दिन पानी कम होता जा रहा है। बारिश नहीं होने की वजह से पेयजल को लेकर जलसंस्थान को भारी चुनौतियों का समाना करना पड़ रहा है। अकेले बीरोंखाल ब्लाक के ही 40 से अधिक गांवों में पेयजल संकट बना हुआ है।यही हाल ज्वाल्पा पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े कल्जीखाल ब्लक के गांवों का भी है। अणेथ से लेकर अन्य गांवों में भारी पेयजल संकट बना हुआ है। ग्रामीण उपभोक्ताओं की माने तो पूरा दिन पानी भरने में ही चला जा रहा है। इसके बावजूद मुश्किल से एक परिवार को एक या दो बाल्टी पानी मिल पा रहा है।

पोखड़ा के सकनोली, मेल गांव सहित अन्य गांवों में पेयजल संकट है। जलसंस्थान के अधीक्षण अभियंता पीके सैनी ने बताया कि जहां से भी पेयजल की शिकायत मिल रही है वहां टैंकरों से पानी दिया जा रहा है। पौड़ी की नानघाट पेयजल योजना से भी पानी कम हुआ है जिसका असर मुख्यालय की सप्लाई पर पड़ रहा है।

23 लाख खर्च करने के बाद नहीं मिल रहा पानी

उत्तरकाशी के पुरोला के छिबाला गांव में लघु सिंचाई विभाग की ओर से बनाई गई सोलर लिफ्ट योजना काश्तकारों के लिए शोपीस बनकर रह गई है। विभाग की लापरवाही और अनदेखी के कारण एक वर्ष बाद भी इस योजना से काश्तकारों को पानी नहीं मिल पाया। जिससे काश्तकारों को सिंचाई करने में भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।

लघु सिंचाई विभाग विभाग द्वारा गत वर्ष छिबाला गांव के कृषकों को सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराने के लिए कमल नदी से 23 लाख रूपए की लागत से एक सोलर लिफ्ट योजना का निर्माण किया गया था। लेकिन इस लिफ्ट योजना से अभी तक एक दिन भी पानी नहीं चलाया गया। ग्रामीणों ने एसडीएम पुरोला से इसकी उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।

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