
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नोएडा और इर्द-गिर्द यमुना की गोद में फार्म हाउस बनाने का खेल कुछ यूं खेला गया कि कोई अंगुली न उठा पाए, लेकिन मामला उजागर होने के बाद अब अधिकारी पूर्ववर्ती अफसरों पर ठीकरा फोड़ने से नहीं हिचक रहे। फार्म हाउस बनाने के चक्कर में यमुना की धारा मोड़ी ही नहीं गई, बल्कि उसके प्राकृतिक स्वरूप के साथ जमकर खिलवाड़ करने में भी संकोच नहीं किया गया। नदियों के प्रति जहां एक ओर योगी सरकार संवेदनशीलता का परिचय दे रही है, नदियों की स्वच्छता और उन्हें अविरल बनाए रखने की खातिर हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं, टेनरियां बंद करा दी गई हैं, वहीं यमुना तीरे फार्म हाउसों का निर्माण साबित करता है कि अफसरों को न तो यमुना की चिंता है और न ही सरकार के इरादों की कोई परवाह है।
विस्मयकारी है कि यहां रजिस्टियां होती रहीं, जिला पंचायत से नक्शे पास होते रहे और फार्म हाउस बनकर तैयार भी हो गए, लेकिन अफसरों को भनक तक नहीं लगी। यह अविश्वसनीय सच है। मामला उजागर होने के बाद प्रशासन ने बुलडोजर चलाया तो अब कामगारों को आगे करके प्रदर्शन प्रयोजित कराया जा रहा है। शनिवार को भी बड़ी संख्या में पुलिस की मौजूदगी में नोएडा प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम ने कार्रवाई की। सेक्टर-135 स्थित नंगला नंगली गांव के डूब क्षेत्र में बने 27 अवैध फार्म हाउसों को ध्वस्त किया गया। नोएडा प्राधिकरण की यह तीसरी बड़ी कार्रवाई थी। गिराए गए फार्म हाउसों को पक्का निर्माण करके लक्जरी बनाया गया था। प्राधिकरण के मुताबिक जमीन की कीमत 60 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।
अब तक 50 से भी अधिक फार्म हाउस ध्वस्त किए जा चुके हैं, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में खड़े फार्म हाउस प्रशासन को चिढ़ाते दिख रहे हैं। फार्म हाउस के नाम पर अधिकारियों की यह बेनामी संपदा मौज-मस्ती के अत्याधुनिक ठिकाने के साथ ही कमाई का जरिया भी बन गई। यहां शादी-बरात के साथ ही विभिन्न आयोजन होने लगे। स्वीमिंग पूल के साथ ही म्यूजिक फ्लोर और रैन डांस की व्यवस्था उपलब्ध होने के कारण लोग बरबस यहां खिंचे चले आ रहे थे।