
सत्तारूढ़ भाजपा अभी अपने दमदार नेताओं को चुनाव प्रबंधन से जोड़ नहीं सकी है। पार्टी के पास पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में चुनावी राजनीति से दूर ही हैं। पांचवीं विधानसभा के चुनावी महायुद्ध में पूर्व मुख्यमंत्रियों की शक्ति का योजनाबद्ध व रणनीतिक उपयोग अब तक होता नहीं दिखा। हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का उपयोग हरिद्वार के साथ ही गढ़वाल की कई सीटों पर पार्टी की स्थिति मजबूत बनाने में हो सकता है। उनका भी सीमित उपयोग हो पा रहा है। हालांकि नामांकन के अंतिम दिनों में असंतोष थामने और टिकट कटने से नाराज विधायकों को मनाने में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मोर्चे पर तैनाती का कुछ असर ये रहा कि कुछ नाराज विधायक व नेता अब पार्टी के सुर से सुर मिलाने लगे हैं।