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MP के ओंकारेश्वर स्थित गया शिला तीर्थ को क्यों माना गया है मोक्षस्थली 

ओंकारेश्वर में कावेरी नदी के तट पर गया शिला नामक प्राचीन स्थान है, जिसे मध्य प्रदेश की मोक्षस्थली कहा जाता है. पितरों से जुड़ा यह पावन तीर्थ ओंकारेश्वर में जैन तीर्थ स्थल सिद्धवरकूट के पास ओंकार मांधाता पर्वत के पीछे स्थित है. प्रकृति की गोद में बसे इस पावन तीर्थ में अत्यंत ही प्राचीन शिवालय है, जिसके परिसर में एक पवित्र शिला है. जिसे स्थानीय लोग अनादि काल के नाम से बुलाते हैं. इस पावन तीर्थ के बारे में मान्यता है कि यहां पर श्रद्धा के साथ पिंडदान करने पर पितरों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है. जो लोग किसी कारणवश बिहार में स्थित गया तीर्थ नहीं पहुंच पाते हैं, वे इसी स्थान पर अपने पितरों का पिंडदान करके उनकी मुक्ति की प्रार्थना करते हैं.

पितरों की मुक्ति का महातीर्थ है गया शिला

धर्म-कर्म के मर्मज्ञ पंडित धर्मेंद्र पाठक के अनुसार श्राद्ध पक्ष में गया शिला पर हर साल बड़ी संख्या में लोग अपने पुरखों की मुक्ति के लिए पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण आदि के लिए पहुंचते हैं. बड़ी तादाद में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के लिए यहां पर पितृपक्ष के दौरान रहने-खाने की पूरी व्यवस्था की जाती है. सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के मौके पर तो एक लाख से अधिक श्रद्धालु अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए ओंकारेश्वर में कावेरी और नर्मदा नदी के घाट तथा इस पावन गया शिला तीर्थ स्थल पर पहुंचते हैं.

बिहार के गया जी के समान मिलता है पुण्य फल

धर्म और कर्म के मर्मज्ञ पंडित रुक्मांगद शुक्ल और पंडित धर्मेंद्र पाठक के अनुसार ने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए यदि आपके पास संसाधन या समय नहीं है तो आपको हजारों मील दूर बिहार के गया जी में जाने की आवश्यकता नहीं है. ओंकारेश्वर स्थिति गया शिला नामक प्राचीन स्थल पर ही श्रद्धा के साथ तर्पण और पिंडदान करने से वही पुण्य फल और पितरों को मोक्ष यहां पर भी प्राप्त हाे जाता है.

सर्वपितृ अमावस्या पर लगता है महामेला

ओंकारेश्वर के कावेरी तट पर स्थित गया शिला नामक अति प्राचीन और पुण्यदायी स्थल की पवित्रता के चलते पितृपक्ष में पड़ने वाली अमावस्या पर लोग अपने पितरों के निमित्त की जाने वाली पूजा यानि तर्पण, पिंडदान आदि करने के लिए लोग यहां इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर, भोपाल सहित सुदूर क्षेत्रों से पहुंचते हैं. सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर यहां पर तीन दिवसीय मेला लगता है.

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