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आख़िर डाबर इंडिया ने ‘बादशाह मसाला’ में 51% हिस्सेदारी क्यों खरीदी !

फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स यानी FMCG सेक्टर की दिग्गज कंपनी डाबर इंडिया (Dabur India) मसाले बेचने के लिए तैयार है. कंपनी ने ‘बादशाह मसाला’ में 51% हिस्सेदारी के अधिग्रहण को पूरा कर लिया है. इसके साथ ही ‘बादशाह मसाला’ अब डाबर की सहायक कंपनी बन गई है. डाबर की शेष 49% हिस्सेदारी को भी खरीदने की योजना है. कंपनी अगले 4-5 सालों में ऐसा करके ‘बादशाह मसाला’ को पूरी तरह अपना बना लेगी. पिछले साल अक्टूबर में सबसे पहले इस डील की जानकारी सामने आई थी.

कितना बड़ा है मसाला बाजार?
डाबर ने ‘बादशाह मसाला’ में 51 फीसदी हिस्सेदारी 587.52 करोड़ रुपए में खरीदी है. भारत में मसाला कारोबार काफी बड़ा है. एक रिपोर्ट बताती है कि देश में ब्रांडेड मसालों का बाजार 25,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का है और 2025 तक इसके दोगुना होकर 50,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है. इस क्षेत्र में ‘बादशाह मसाला’ एक स्थापित नाम है. ऐसे में डाबर को बादशाह के रूप में एक जमा-जमाया बाजार मिल रहा है, जिसे उसे आक्रामक रणनीति के तहत सबसे आगे लेकर जाना है.

किनसे होगा डाबर का मुकाबला? 
डाबर को मसाला बाजार में कड़ी टक्कर मिलेगी. उसे MDH, Everest Spices, Catch Spices, Rajesh Masala, MTR Masala और Ramdev Masala जैसे ब्रैंड से मुकाबला करना होगा. MDH (Mahashian Di Hatti Private Limited) का मार्केट शेयर 12% के आसपास है और करीब इतना ही Everest Spices के पास है. हालांकि, ‘बादशाह मसाला’ टॉप फाइव मसाला ब्रैंड में पहले से शामिल है, ऐसे में डाबर ज्यादा मशक्कत नहीं करनी होगी. यदि वो सही रणनीति के तहत आगे बढ़ती है, तो बाजार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकती है.

कब हुई थी कंपनी की शुरुआत?
इस डील के बाद बादशाह मसाला एक स्टैंडअलोन यूनिट के रूप में काम करेगा और प्रमोटर हेमंत झावेरी मैनेजिंग डायरेक्टर की भूमिका बने रहेंगे. बादशाह मसाला की शुरुआत 1958 में हुई थी. उस दौर में जवाहरलाल जमनादास झावेरी ने साइकिल पर सवार होकर गरम मसाला और चाय मसाला बेचना शुरू किया था. थोड़े से समय में ही उनका मसाला लोगों की जुबां पर चढ़ गया. इसके बाद जवाहरलाल जमनादास ने मुंबई में एक छोटी यूनिट की स्थापना की. फिर गुजरात में 6,000 वर्ग फुट के बड़े कारखाने का निर्माण किया गया.

20 से ज्यादा देशों तक है पहुंच  
बादशाह मसाला ने केवल चाय और गरम मसाला तक ही खुद को सीमित नहीं रखा. उसने पाव भाजी मसाला, चाट मसाला और चना मसाला भी लॉन्च किया, जिसे काफी पसंद किया गया. कंपनी की बागडोर 1996 तक जवाहरलाल जमनादास के हाथों में रही, लेकिन उनके निधन के बाद, उनके बेटे हेमंत ने यह जिम्मेदारी संभाली. हेमंत कंपनी का दायरा बढ़ाने पर फोकस किया. आज बादशाह मसाला 20 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है. हालांकि, अब जवाहरलाल जमनादास के द्वारा खड़ी की गई ये कंपनी डाबर के हाथों में चली गई है.

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