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क्या है मोदी सरकार का 100 लाख करोड़ का PM गति शक्ति प्लान !

भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने 1.2 खरब डॉलर (100 लाख करोड़) का पीएम गति शक्ति प्लान (PM Gati Shakti plan) बनाया है. जानकारों का मानना है कि इस प्लान से चीन में चलने वाली विदेशी फैक्ट्रियां और कल-कारखाने में भारत की ओर रुख करेंगे. ऐसे में पीएम गति शक्ति प्लान पूरी तरह से चीन को टक्कर देने वाली योजना है. इस प्लान से भारत को कई मोर्चे पर तेजी मिलने की उम्मीद है. भारत में चलने वाले आधे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं. साथ ही, चार में हर एक बजट अनुमानित बजट से अधिक खर्च में चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भरोसा है कि इस तरह के लेट-लतीफ काम में टेक्नोलॉजी बड़ी गति ला सकता है. लिहाजा, पीएम गति शक्ति मास्टरप्लान को आगे बढ़ाया जा रहा है.

पीएम गति शक्ति देश का मेगा प्रोजेक्ट है जिसमें 100 लाख करोड़ रुपये खर्च होने हैं. इस प्लान के अंतर्गत मोदी सरकार एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रही है जिसमें 16 मंत्रालयों को एकसाथ शामिल किया जाएगा. यह ऐसा पोर्टल होगा जहां कंपनियां और निवेशक एक साथ अपना काम कर सकेंगे. इसी पोर्टल पर प्रोजेक्ट का डिजाइन होगा, यहीं से उसे अप्रूवल मिलेगा और खर्च या लागत की पूरी जानकारी मिल जाएगी. इससे निवेशक और कंपनियों को अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे. उन्हें पोर्टल पर जाकर एक ही कोशिश में हर तरह का आवेदन करना होगा और वही से उन्हें अप्रूवल भी मिल जाएगा.

चीन को पीएम गति शक्ति से धक्का

सरकार का कहना है कि पीएम गति शक्ति से खर्च तो बचेगा ही, समय की बर्बादी भी रुकेगी. चीन में चलने वाली कंपनियां भारत को अपना पसंदीदा स्थान देख रही हैं. इन विदेशी कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग की अपार संभावनाएं दिख रही हैं. पीएम गति शक्ति प्लान इस काम में विदेशी कंपनियों की पूरी मदद करेगा. चीन जब से ‘चाइना प्लस वन पॉलिसी’ लागू करने पर तुला है, तब से विदेशी कंपनियां चीन के बाहरी देशों पर अपना फोकस बढ़ा रही हैं. इस हिसाब से भारत उन्हें सबसे उपयुक्त देश लगता है जहां उनका कारोबार आसानी से चल सकता है.

पीएम गति शक्ति प्लान इस काम में विदेशी कंपनियों की मदद करेगा क्योंकि बिना किसी देरी किए प्रोजेक्ट को अप्रूवल मिल जाएगा. विदेशी कंपनियां भारत में आसानी से कारोबार शुरू कर सकेंगी और अपना सप्लाई चेन बढ़ा सकेंगी. इन कंपनियों को सबसे बड़ी सुविधा सस्ती लेबर के रूप में मिलेगी. भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जहां सबसे सस्ता मैनपावर मिलता है. इसके साथ ही अंग्रेजी बोलने वाले वर्कर्स का सबसे बड़ा टैलेंट पुल है. इन दोनों दृष्टि से विदेशी कंपनियों को भारत में काम करने में सहूलियत होगी.

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