जनता के पैसे की बर्बादी, बुंगीधार में 2.5 करोड़ की लागत से तैयार नया ITI भवन, बनेगा खंडहर

चौथान : जनता के पैसे की बर्बादी कैसे होती है, इसका एक उदाहरण श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के बुंगीधार (रिक्साल गांव) में देखने को मिल सकता है. यहां तीन सालों से नवनिर्मित आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) का भवन तैयार है, लेकिन उसमें अभी तक कक्षाओं का संचालन नहीं हो पाया है. यहां के स्थानीय लोगों ने अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए 2010 में अपनी 60 नाली जमीन आईटीआई भवन के लिए दान दी थी.
पहाड़ के युवाओं को घर के पास ही अच्छी तकनीकी शिक्षा मिल सके, इसी सपने के साथ 2010 में रिक्साल गांव के निवासियों नेआईटीआई भवन के लिए अपनी 60 नाली भूमि दान की थी. भाजपा की तत्कालीन सरकार में मुख्यमंत्री रहे रमेश पोखरियाल निशंक ने उक्त भूमि पर आईटीआई भवन बनाने की स्वीकृति दी थी, जिसके बाद इस भवन का निर्माण पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में स्थानीय विधायक गणेश गोदियाल द्वारा बजट स्वीकृत कराकर कार्य शुरू कराया गया था. भवन को बने हुए तीन साल हो चुके हैं, लेकिन आजतक यहां पर आईटीआई की कक्षाएं संचालित नहीं हो पाई हैं. जिससे ग्रामीणों में रोष है. वहीं ढाई करोड़ की लागत से बना ये भवन भी देखभाल के अभाव में क्षतिग्रस्त होता जा रहा है. पूर्व में यहां कार्यरत कर्मचारियों को भी सरकार ने अन्यत्र जगह स्थानांतरित कर दिया है।
वहीं अब स्थानीय लोगों ने सरकार और जिला प्रशासन से मांग की है कि इस भवन में शीघ्र औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान की कक्षाओं का संचालन किया जाये।
रिक्साल ग्राम पंचायत के तत्कालीन प्रधान बसवा नन्द ममगाई ने बताया कि सरकार के दर पर निरंतर संघर्ष तथा अथक प्रयासों के बाद स्थानीय विधायक एवं मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 2010 में बुंगीधार के नाम से ग्राम रिक्साल के लिए आईटीआई स्वीकृत किया , फौरी व्यवस्था के तहत आईटीआई की कक्षाएं स्कूल के पुराने भवन से संचालित की गई।
चौथान क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता नारायण दत रतूड़ी बताते है कि सभी बैच में छात्र संख्या पूरी होने के पश्चात पूर्व सरकार में स्थानीय विधायक गणेश गोदियाल ने आईटीआई के लिए सरकार से नए भवन का निर्माण स्वीकृत कराकर भवन तैयार करवाया , लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा इस आईटीआई को बंद कराकर यहां कार्यरत कर्मचारियों को अन्य स्थानों में स्थानांतरित कर दिया , जनता के साथ इससे बड़ा मज़ाक क्या हो सकता है कि जब तक भवन नहीं बना था तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत वर्षों तक आईटीआई में नियमित कक्षाओं का संचालन किया गया जैसे ही 2.5 करोड़ की लागत से नया भवन बनकर तैयार हुआ वैसे ही सरकार द्वारा आईटीआई को ही बंद कर दिया गया।
स्थानीय लोगो का कहना है कि इसमें विधायक तथा मंत्री डॉ धनसिंह रावत के द्वारा घोर लापरवाही हुई, वे क्षेत्र के हित में कोई फैसला लेने में नाकाम सिद्ध हो रहे हैं. अगर यूं ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में ढाई करोड़ की बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो जाएगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार की होगी.