
उत्तरकाशी: जिला मुख्यालय के निकट स्यूंणा गांव के लिए अभी तक पुल निर्माण नहीं हो पाया है। इस कारण ग्रामीणों को मजबूरन भागीरथी नदी पर खुद पत्थर, बल्लियों और लकड़ियों की मदद से अस्थायी पुलिया का निर्माण करना पड़ रहा है। सोमवार को गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पुल बनाने में जुटे रहे।
दरअसल, जिला मुख्यालय से चार किमी दूरी पर स्थित स्यूंणा गांव के लिए सड़क और पुल की सुविधा नहीं है। गांव को जोड़ने वाला पैदल मार्ग भी बदहाल है। ऐसे में ग्रामीण अस्थायी पुल के सहारे भागीरथी की उफनती धारा को पारकर अपने गांव पहुंचते हैं। लेकिन, बरसात के दौरान भागीरथी का जलस्तर बढ़ने से अस्थायी पुलिया बह जाती है। इससे ग्रामीणों का संपर्क कट जाता है। शीतकाल में नदी का जलस्तर कम होते ही ग्रामीण फिर से अस्थायी पुलिया का निर्माण करते हैं, जिससे सड़क मार्ग तक पहुंचने में ग्रामीणों की दूरी कम हो सके। सोमवार को स्यूंणा गांव के ग्रामीण एकत्रित हुए और लकड़ी, बल्लियों और पत्थर के सहारे भागीरथी नदी के ऊपर आवाजाही के लिए अस्थायी पुलिया का निर्माण में जुटे। ग्रामीणों का कहना है कि यह नियति का सिलसिला वर्षों से चल रहा है, लेकिन इसके बाद भी शासन-प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि उनके गांव के लिए गंगोरी से पुल निर्माण की मांग है। इस पर जिला प्रशासन ने इलेक्ट्रानिक ट्राली का वादा किया, लेकिन वहां हस्तचलित ट्राली दी गई, जिसकी लोहे की रस्सी खींचने के कारण कई ग्रामीणों के हाथ की अंगुलियां कट गईं। वहीं ट्राली पर बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं अकेले नहीं जा सकते हैं।