
अल्मोड़ा : छिरगाड़ नदी के जलस्तर को बढ़ाने की ग्रामीणों की कवायद रंग लाई है। जल्द ही ताकुला ब्लाक के सुदूर धूरापाट क्षेत्र में स्थित नाइडोल गांव में गैर हिमानी कोसी की सहायक छिरगाड़ नदी के जलस्तर को बढ़ाने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसके लिए छिरगाड़ नदी पुनर्जनन समिति भी बनाई जा रही है।
कोसी के गिरते जलस्तर को देखते हुए उसकी सहायक नदियों के पुनर्जनन के प्रयास तेजी से शुरू किए जाने लगे हैं। इसी के तहत छिरगाड़ नदी के पुनर्जनन की योजना तैयार की जा रही है। छिरगाड़ नदी जलागम का उदगम बांज के घने जंगल के समीप है। उनगड़ क्षेत्र से नाइटौल गांव को पेयजल की आपूर्ति होती है। वहीं राजकीय इंटर कालेज नाई विद्यालय को भी यही से जलापूर्ति होती है। वर्तमान में छिरगाड़ के जलस्तर में अत्यधिक कमी होने के कारण इस नदी जलागम की स्थिति अति दयनीय है।
नाईडोल गांव निवासी सुरेंद्र सिंह नयाल ने बताया कि करीब 25 वर्ष पूर्व छिरगाड़ नदी जलागम में वर्षभर जल प्रवाहित होता था। इसमें मछलियां भी थी। वर्तमान में यह नदी सूख चुकी है। राजकीय इंटर कालेज नाई में कार्यरत भूगोल प्रवक्ता रमेश सिंह रावत ने बताया कि छिरगाड़ जलागम समुंद्र तल से 1717 मीटर ऊचाई पर है। यह जलागम करीब सात किमी नदी से प्रवाहित क्षेत्र है। छिरगाड़ नदी जलागम की सहायक गधेरों में दनगड़ गधेरा, एड़ीथान, तलछिती गधेरा, थैइखाव गधेरा एवं बाटव गधैरा आदि है। नदी का विलुप्त होना चिता का विषय है।
वहीं प्रो. जेएस रावत के निर्देशन में छिरगाड़ नदी जलागम का जीआइएस मानचित्र तैयार कर विद्यालय स्तर पर छिरगाड़ नदी पुनर्जनन समिति बनाकर इस नदी के पुनर्जनन के लिए रणनीति बनाने की तैयारी की जा रही है। तथा इसके क्रियांवयन के लिए शिक्षकों, शिक्षिकाओं, कर्मचारियों, विद्यार्थियों, स्थानीय निवासियों, जनप्रतिनिधियों एवं विभिन्न सरकारी एवं गैरसरकारी विभागों व संस्थाओं से सहयोग लेकर जैविक एवं यांत्रिक उपचारों द्वारा इस नदी को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जाएगा। जिससे इस क्षेत्र में पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता हो सके और नदी वर्षभर प्रवाहित हो सके।