
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से उत्तराखंड के फार्मा उद्योगों को बड़ा झटका लगा है। एक तरफ जहां उत्तराखंड की फार्म इकाइयां रूस, यूक्रेन समेत तमाम सीआइएस (कामनवेल्थ आफ इंडिपेंडेंट स्टेट्स) को दवाओं का निर्यात करती हैं। वहीं, दूसरी तरफ दवाओं के लिए कच्चा माल भी इन्हीं देशों से आयात किया जाता है। इसके चलते फार्मा इकाइयों के निर्यात पर गहरा संकट मंडरा रहा है। साथ ही कच्चे माल के स्टाक फंस गए हैं।
उत्तराखंड में 300 से अधिक फार्मा इकाइयां हैं। इनमें से 200 के करीब इकाइयां अकेले हरिद्वार जिले में हैं। यहां की इकाइयां रूस, यूक्रेन के साथ अर्मीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, माल्डोवा, ताजिकिस्तान, तुर्केमिस्तान, उज्बेकिस्तान को 95 प्रकार की दवाएं और उनसे संबंधित वस्तुओं का निर्यात करती हैं। रूस व यूक्रेन दवाओं के सबसे बड़े खरीदार हैं।
इसी बात से समझा जा सकता है कि युद्ध के चलते राज्य की फार्मा इकाइयों का कितना बड़ा कारोबार प्रभावित होता दिख रहा है। वहीं, उत्तराखंड की इकाइयां रूस व यूक्रेन से बड़े पैमाने पर दवाओं के कच्चे माल व पैकेजिंग के रूप में विभिन्न रसायन व एल्युमिनियम का आयात करती है। मौजूदा हालात के चलते कच्चा माल जगह-जगह फंस गया है। रूस व यूक्रेन के बीच तनातनी के दौर से ही कारोबार प्रभावित होने लगा था और अब युद्ध हो जाने से यहां की फार्मा इकाइयां अनिश्चितता के भंवर में फंस गई हैं।
वहीं, एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अनिल शर्मा का कहना है कि रूस व यूक्रेन के संकट के चलते दवा कंपनियों के शेयर भी भारी दबाव में हैं। यदि हालात कुछ दिन ऐसे ही रहे तो तमाम बड़ी दवा कंपनियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
सीआइएस देशों की आपूर्ति की राह भी रूस व यूक्रेन से
देवभूमि एसोसिएशन आफ फार्मास्युटिकल मैनुफैक्चुरर्स के अध्यक्ष संदीप जैन का कहना है कि भारतीय दवा उद्योग में उत्तराखंड का हिस्सा करीब 20 फीसद है। रूस व यूक्रेन के युद्ध के चलते पूरा सेक्टर प्रभावित हो गया है। बड़ी मुश्किल यह है कि अन्य सीआइएस देशों के लिए माल की आपूर्ति भी रूस व यूक्रेन से की जाती है। नाजुक हालात के बीच आपूर्ति संभव नहीं है। जिसका खामियाजा पूरा फार्मा सेक्टर उठाता दिख रहा है।