
देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस की संयुक्त टीम ने करीब एक अरब रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग (हवाला) के मामले का खुलासा किया है. इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को मध्य प्रदेश के भोपाल से गिरफ्तार किया है. आरोपियों को नाम रचित शर्मा और सुरेश यादव हैं. रचित शर्मा अपने आप को फिल्म इंडस्ट्रीज में प्रोड्यूसर बताता है. इस गिरोह के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हुए हैं, ऐसा एसटीएफ का कहना है.
दोनों आरोपी भोपाल के रहने वाले: रचित शर्मा जो अपने आपको फिल्म प्रोड्यूसर बताता है, उसने करीब एक अरब रुपया अलग-अलग फिल्मों को प्रोड्यूस करने के नाम पर लगाया है. आरोपियों के कब्जे से टीम को 15 एटीएम कार्ड और कई इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस मिले हैं. इसके साथ ही दोनों के बैंक खातों में भी करीब 15 लाख रुपए की रकम थी, जिसे फ्रीज करा दिया गया है. रचित शर्मा (42) और सुरेश यादव (42) दोनों ही अवधपुरी भोपाल मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं.
एसटीएफ के मुताबिक आरोपियों के पास टीम को तीन मोबाइल, 203 डेबिट कार्ड, चार लैपटॉप, एक लग्जरी वाहन और फर्जी बैंक अकाउंट के पेपर मिले हैं. इन्हीं के जरिए आरोपी अपना पैसा विदेशों में भेजा करते थे. इन दोनों आरोपियों ने अपने कई साथियों के साथ मिलकर फर्जी बैंक अकाउंट भी खुलवाए थे.
एसटीएफ ने बताया कि ये लोग साइबर ठगी के जरिए आम लोगों से जो पैसा ठगते थे, उसे भी विदेशों में इन्वेंस्ट करते थे. उत्तराखंड एसटीएफ के अनुसार दोनों आरोपी फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे और फिर यहां से करोड़ों रुपए फिल्म प्रसारित करने नाम पर कंबोडिया और हांगकांग जैसे देशों में ट्रांसफर कर देते थे.
हवाला के जरिए विदेशों में भेजा जाता था भेजा: एसटीएफ ने जब आरोपी रोहित से पूछताछ की तो उनसे बताया था कि वो सारी रकम Binance Wallet के माध्यम से USDT Currency में जमा कराता था. इसके बाद एसटीएफ ने इस मामले की गहनता से तफ्तीश की तो पता चला कि इस गिरोह के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हुए हैं. ये गिरोह भारत में लोगों से ऑनलाइन ठगी करके उन पैसों को हवाला के जरिए विदेशों में इन्वेंस्ट करता है.
आरोपी कई फिल्मों में लगा चुका है पैसा: आखिर में एसटीएफ बड़ी मछली तक पहुंची और मामले की बड़े स्तर पर जांच शुरू हुई. टीम को भोपाल जाकर पता चला कि विदेशी फिल्मों में इन्वेस्टमेंट के नाम पर भारत का पैसा लगाया जा रहा है. इसके बाद एसटीएफ ने स्टेट बैंक ऑफ मॉरीसस से जानकारी ली और उनका विश्लेषण किया तो मनी लॉन्ड्रिंग (हवाला) का पूरा खेल पता चला कि कैसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत का पैसा बाहर भेजा जा रहा है. इसके बाद एसटीएफ ने आरोपियों के ठिकाने पर छापेमारी की और उन्हें सुबूतों के साथ गिरफ्तार किया.
क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग?: दरअसल, कानून की नजर में आपराधिक गतिविधियों से बड़ी मात्रा में धन बनाने की अवैध प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग कहा जाता है. जैसे कि ड्रग की तस्करी, आतंकी गतिविधियों और साइबर ठगी कर मिला पैसा. इसमें ऊपर से ऐसा लगता है कि धन वैध स्त्रोतों से आया है, लेकिन वो होता है अवैध. अवैध धन को कानूनी दांवपेंच खेलकर वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाना ही मनी लॉन्ड्रिंग हुआ. इसमें अवैध तरीके से कमाया हुआ काला धन सफेद दिखाया जाता है और उसे वैध मुद्रा में बदला जाता है. इसे आम बोलचाल में हवाला लेनदेन के रूप में जाना जाता है.