
उत्तराखंड में प्रति सौ व्यक्तियों में ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 22 और नगरीय क्षेत्रों में लगभग 10 व्यक्ति गरीबी का जीवन जीने को विवश हैं। प्रदेश में बहुआयामी गरीबी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। राज्य का सर्वाधिक गरीबों वाला जिला अल्मोड़ा है, जहां 25.65 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। दूसरे स्थान पर हरिद्वार जिले में 24.76 प्रतिशत गरीबी है। इसके बाद उत्तरकाशी में 24.28 प्रतिशत और ऊधमसिंह नगर में 23.20 प्रतिशत गरीब जनसंख्या है। जिलों में शहरों की तुलना में गांवों में गरीबों की संख्या बहुत अधिक है।
ग्रामीण निर्धनता में हरिद्वार जिला सबसे आगे है। जिले में 29.55 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या गरीब है। अल्मोड़ा में 27.27 प्रतिशत और ऊधमसिंह नगर में 26.68 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या निर्धन है। उत्तरकाशी, टिहरी, चम्पावत, बागेश्वर और चमोली क्रमश: चौथे, पांचवें, छठे, सातवें और आठवें स्थान पर हैं। पिथौरागढ़, नैनीताल, रुद्रप्रयाग, पौड़ी और देहरादून क्रमश: नौवें, 10वें, 11वें, 12वें व 13वें स्थान पर हैं।
जीवन स्तर में सात मूलभूत सुविधाओं कुकिंग ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपत्ति धारण व बैंक खाता तक पहुंच को बतौर संकेतक लिया गया है। इन संकेतकों के आधार पर बहुआयामी गरीबी के मामले में उत्तराखंड का देश में 15वां स्थान है। उत्तराखंड ने संकल्प लिया है कि वर्ष 2030 तक गरीबी के सभी आयामों को समाप्त किया जाएगा। समृद्धि प्राप्त कर न्यायपूर्ण और सुरक्षित व्यवस्था बनाई जाएगी।