
नैनीताल। पहाड़ पर आज भी मूलभूत सुविधाओं का काफी अभाव है। जनप्रतिनिधि चुनावी मौसम में विकास के वादे तो करते हैं पर वे हकीकत में कितना उतरते हैं सभी को पता ही है। चुनाव जीतने के बाद जनता से किए गए वादे असल धरातल पर नहीं उतर पाते देवीधुरा-बसानी मोटर मार्ग ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहा है। मार्ग स्वीकृति के बाद कांग्रेस और भाजपा सरकार के दस साल के कार्यकाल के बाद भी ग्रामीण पक्की सड़क से महरूम है। सड़क के अभाव में कई परिवार पलायन कर चुके है तो निवासरत परिवारो को बारिश में कीचड़ भरी सड़क से गुजरना पड़ता है। मंत्री की ससुराल और पूर्व विधायक का ननिहाल होने के बाद भी सड़क और क्षेत्र की बदहाली नेताओं की इच्छाशक्ति और कार्यक्षमता पर भी सवाल खड़े कर रही है।
देवीधुरा से बसानी 32 किमी मोयरमार्ग को 2012 में स्वीकृति मिली थी। स्वीकृति के बाद पहले फेज में पटुवाडांगर से बोहरागाव तक 12 किमी सड़क कटिंग का कार्य शुरू किया गया। मगर अनुबंधित ठेकेदार ने काम आधे में ही छोड़ दिया। मामला न्यायालय तक पहुँचा तो छह साल कार्य अधर में लटका रहा। 2018 में विभाग ने नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया निपटा कर कार्य शुरू करवाया। मगर तीन साल गुजर जाने के बाद भी सड़क में डामरीकरण नहीं हो पाया है।
दूसरे फेज का भी काम अधूरा
2018 में पहले फेज में सोलिंग कार्य के साथ ही बोहरागाव तक सड़क कटिंग का कार्य भी शुरू कर दिया गया। जिसमें सड़क किनारे सुरक्षा दीवार, पुल निर्माण और सोलिंग व डामरीकरण होना था। मगर विभागीय सुस्ती के चलते अब तक सड़क नहीं बन सकी है।
कई परिवार कर चुके है पलायन
देवीधुरा बसानी 32 किमी सड़क मार्ग से आठ ग्राम सभाओं को जोड़ा जाना था। जिससे पांच हजार से अधिक लोगों को इसका लाभ मिलना था। मगर क्षेत्र में पक्की सड़क अब भी ग्रामीणों का सपना ही है। आलम यह है कि सड़क के अभाव में बोहरागाव से कई परिवार पलायन कर चुके है। सड़क के अभाव में बुजुर्गों और मरीजों को जिला मुख्यालय तक पहुँचना कोई चुनौती से कम नहीं है। वहीं बारिश के दौरान ग्रामीणों को कच्ची सड़क में कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है।