
चमोली. पहाड़ों के कठिन जीवन की तस्वीर यह है कि ज़िले के कई ग्रामीण अचानक रात को अपना गांव और घर छोड़कर भाग खड़े हुए. गुफाओं में जाकर शरण ले ली. इन्हें भूस्खलन से अपने घरों पर चट्टानों के गिरने का खतरा सता रहा था. और यह पहली बार नहीं है बल्कि कई सालों से बारिश के दो महीने ये लोग गुफाओं में जाकर ही बिताने पर मजबूर रहे हैं क्योंकि सरकार इनके गांव को सुरक्षित जगह पर विस्थापित करने की कवायद सालों से कर रही है लेकिन कछुआ गति यह है कि अब तक इनके सामने जान बचाने का संकट खड़ा हुआ है.
पहाड़ों में लगातार बारिश से नीति मलारी राष्ट्रीय राजमार्ग के सामने स्थित जुगजु ग्वाड गांव के ऊपर देर रात को चट्टान और पत्थर गिरने से ग्रामीण दहशत में आ गए. ग्रामीणों ने अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर भागना ही ठीक समझा. बुधवार व गुरुवार की दरमियानी पूरी रात ग्रामीण एक गुफा में रहे. पिछले कई सालों से चट्टानें गिरने के डर से जुगजु गांव के लोग दहशत में जी रहे हैं.
शासन प्रशासन से कई बार गुहार लगाने पर भी गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है. यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. दिन में भी कभी.कभी पहाड़ टूटने की आशंका रहती है और गांव के लोग आसपास की गुफाओं या सुरक्षित स्थानों की तरफ शरण लेने के लिए भाग जाते हैं. एक ग्रामीण संग्राम सिंह ने बताया रात लगभग 11 बजे से पत्थर गिरने का सिलसिला शुरू हो गया था और धीरे.धीरे पत्थरों की आवाज तेज हुई तो लोग घर छोड़कर भाग गए. संग्राम के मुताबिक पिछले साल भी ग्रामीण जुलाई और अगस्त में गुफा में ही रहे थे.
इस पूरे मामले में उप जि़लाधिकारी कुमकुम जोशी ने बताया कि सूचना मिलने पर ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर ठहराने की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही, उन्होंने विस्थापन की प्रक्रिया जारी होने की बात कहते हुए बताया कि भूमि चयन की प्रक्रिया चल रही है और कोशिश की जाएगी कि जल्द ही गांव को सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए.
चमोली के जुगजू गांव के ऊपर हो रहे भूस्खनन से घर छोड़कर भागे और रात गुफा में गुज़ारने वाले लोगों को गुरुवार रात तक जोशीमठ प्रशासन ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय रैणी चकलाता में शिफ्ट करवाया. 6 प्रभावित परिवारों को एक.एक तिरपाल और सोलर लाइट दी गई. इस तात्कालिक व्यवस्था के बाद ग्रामीण अब भी शासन प्रशासन की तरफ ताक रहे हैं कि कब तक उनके गांव का विस्थापन हो सकेगा.