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नहीं पहुंची 108 मौलेखाल में गर्भवती ने सड़क में ही शिशु को जन्म दे दिया

मौलेखाल (अल्मोड़ा)। सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते किसी की जान संकट में पड़ सकती है। ऐसा ही एक वाकया सल्ट के रिवाली गांव की गर्भवती महिला के साथ हुआ। प्रसव पीड़ित इस महिला को परिवार वाले चारपाई पर बैठाकर तीन किमी दूर सड़क तक लाए लेकिन आपातकालीन एंबुलेंस 108 चार घंटे बाद भी नहीं आई। इस महिला का सड़क पर ही प्रसव कराना पड़ा।

विकासखंड सल्ट के रिवाली गांव निवासी विनोद सिंह की पत्नी संगीता देवी पत्नी को बुधवार की सुबह प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने आपातकालीन एंबुलेंस को सूचना दी। वे संगीता को चारपाई पर बैठाकर ग्रामीणों की सहायता से तीन किमी दूर सड़क (ओखलिया) तक लाए। ओखलिया में करीब आठ बजे पहुंचे ग्रामीण इंतजार करते रहे लेकिन दोपहर 12 बजे तक एंबुलेंस नहीं आई। इस कारण महिला को यहां से 20 किमी दूर देवायल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं ले जाया जा सका।

इस बीच प्रसव पीड़ा बढ़ी तो महिला ने वहीं सड़क पर ही बच्ची को जन्म दे दिया। लोग जच्चा-बच्ची दोनों को चारपाई पर बैठाकर वापस गांव ले गए। पूर्व प्रधान जयपाल सिंह रावत ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से संगीता और उसकी बच्ची की जान भी जा सकती थी।

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने कई बार आपातकालीन 108 को फोन कर सूचना दी लेकिन उनका जवाब था कि 108 दूसरी जगह से भेजी जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि चार घंटे सड़क पर इंतजार करने के बावजूद 108 एबुलेंस नहीं पहुंची।

अल्मोड़ा जिले के दुर्गम विकासखंड सल्ट में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल तो है ही साथ ही अब 108 आपातकालीन सेवा भी खुद बीमार होने लगी है। ब्लाक में 108 आपातकालीन सेवा पिछले चार दिनों से खराब पड़ी है। एंबुलेंस का एक्सल टूटा है लेकिन चार दिन बीत जाने के बावजूद इसे ठीक नहीं कराया गया। संगीता को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने 108 को कई घंटे पहले ही सूचना दे दी थी लेकिन 108 ने महिला के परिजनों को बताया कि दूसरी जगह से एबुलेंस भेजी जा रही है। महिला के परिजन सड़क में चार घंटे इतंजार करते रहे लेकिन कहीं से भी 108 सेवा नहीं भेजी गई।

सूत्रों के मुताबिक सल्ट की 108 आपातकालीन एंबुलेंस में अक्सर खराबी आते रहती है। एबुलेंस खराब होने पर दूसरी जगह से एबुलेंस भेजने के नाम पर मरीजों और तीमारदारों को गुमराह किया जाता है। यदि समय रहते 108 एंबुलेंस मौके पर पहुंच जाती तो महिला को सड़क पर बेटी को जन्म नहीं देना पड़ता। 108 की लापरवाही से सड़क पर प्रसव होने से महिला की जान भी जा सकती थी।

पूर्व प्रधान जयपाल समेत अन्य ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि आए दिन 108 एंबुलेंस सेवा का हाल यही रहता है। इसका खामियाजा मरीजों और तीमारदारों को भुगतना पड़ता है। सूचना देने के बावजूद कई बार 108 सेवा समय पर मौके में नहीं पहुंच पाती है। इससे कई घंटे बाद मरीजों की जान सांसत में पड़ जाती है।

सकुशल प्रसव भी चुनौती
दुर्गम पहाड़ में आज भी महिलाओं का सकुशल प्रसव कराना बड़ी चुनौती है। प्रसव पीड़िता महिलाओं को डिलीवरी के लिए कई किमी दूर जाना पड़ता है। कई गांवों तक सड़क नहीं पहुंची है। वहां से गंभीर मरीजों को ग्रामीण डोली या फिर चारपाई से नजदीकी सड़क पर लाते हैं। कई बार गंभीर मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। महिलाओं के सड़क पर ही प्रसव करने की कई घटनाएं हो चुकी हैं।

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