
हल्द्वानी : इस वर्ष का तीसरा व आखिरी सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को भारत समेत पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया व पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा। अंगूठी के आकार के दिखने वाले सूर्यग्रहण को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी हुई है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार अमृत मंथन के दौरान देवताओं व दानवों के बीच विवाद होने पर भगवान विष्णु ने महाहिनी का रूप धारण कर देवताओं और दानवों को अलग बिठा दिया।
कुछ दानव देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए। अमृत बांटते समय सूरज व चांद ने दानवों को अमृत लेते देख लिया और उन्होंने भगवान विष्णु को बताया।
विष्णु ने सुदर्शन से दानवों के सिर व धड़ अलग कर दिए, लेकिन वे मरे नहीं। सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु कहलाता है। इसी वजह से राहु व केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं।
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की। कभी-कभी इस प्रक्रिया में चांद सूरज व धरती के बीच में आता है। इससे सूरज की कुछ या फिर सारी रोशनी धरती पर आने से रुक जाती है।
यह घटना अमावस्या के दिन होती है। चांद सूरज के कुछ भाग को ढके तो खंड ग्रहण कहलाता है। कभी-कभार ऐसा भी होता है जब चांद सूरज को पूरी तरह से ढक लेता है तो इसे पूर्ण ग्रहण कहते हैं।
सूर्य, बुध, गुरु, शनि, केतु व चंद्रमा 25 दिसंबर को एक साथ धनु राशि में रहेंगे। यह षठग्रही योग रहेगा। डॉ. नवीन जोशी के अनुसार धनु राशि में किन्हीं 6 ग्रहों का यह योग करीब एक दशक बाद बन रहा है।
धनु में 6 ग्रह रहने का सर्वाधिक असर मौसम व राजनीति पर पड़ेगा। वहीं, कुछ प्रदेशों की सरकारों में आपसी मतभेद बढ़ेंगे। इसका कारण मिथुन राशि में विराजमान राहु की दृष्टि धनु राशि पर पडऩा है।