
कालागढ़ : कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserve) के कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग (Kalagarh Tiger Reserve Forest Division) में बन रहे पाखरौ टाइगर सफारी प्रोजेक्ट (pakhro Tiger Safari Project) को धामी सरकार पूरा नहीं कर पाएगी. विधानसभा चुनाव (uttarakhand assembly election 2022) नजदीक है. ऐसे में धामी सरकार अब आधे-अधूरे प्रोजेक्ट के ही उद्घाटन की तैयारी में है. वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के लिहाज इस प्रोजेक्ट को उत्तराखंड का बड़ा प्रोजेक्ट माना जा रहा है, जो कॉर्बेट पर पर्यटकों के दबाव को कम करने में मददगार साबित होगा.
प्रोजक्ट के तहत बनने हैं तीन बाड़े: पाखरौ टाइगर सफारी को करीब 106 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया जा रहा है. इसमें तीन बाड़े होंगे. इन 3 बाड़ों में 5 बाघों को रखा जाएगा, जिसमें 3 बाघिन और दो बाघ होंगे. जिस बाड़े को तैयार किया गया है, उसमें एक बाघ और एक बाघिन रखी जाएगी.
एक बाड़े को शुरू करने के लिए आवेदन: कोटद्वार से करीब 25 किलोमीटर दूर कालागढ़ और रामनगर मार्ग पर स्थित पाखरौ टाइगर सफारी के बनने के बाद कॉर्बेट पर पर्यटकों के दबाव के कम होने की बात कही जा रही है. फिलहाल, नेशनल जू अथॉरिटी (National Zoo Authority) से टाइगर सफारी के एक बाड़े को शुरू करने के लिए आवेदन किया गया है, जिसकी जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है.
पीएम मोदी को बुलाने की तैयारी थी: इस प्रोजेक्ट के शुभारंभ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को बुलावा भेजने की तैयारी थी लेकिन प्रोजेक्ट अधूरा है. इसलिए धामी सरकार आचार संहिता लगने से पहले इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का मन बना रही है. इसके लिए सरकार ने सीटीआर निदेशक को भी दिल्ली जाकर अनुमति लेने के निर्देश दिए हैं.
पाखरौ टाइगर सफारी के शुरू होने से होंगे ये लाभ: पाखरौ टाइगर सफारी के बनने से सबसे बड़ा फायदा कॉर्बेट में बढ़ रहे पर्यटकों के दबाव को कम करने के रूप में होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी 2019 में जब कॉर्बेट आए थे, उसके बाद इस प्रोजेक्ट को लेकर एक विचार बना था.
पर्यटन से होती है सालाना 10 करोड़ की कमाई: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पर्यटकों का बेहद दबाव है. कॉर्बेट के विभिन्न जोन में 3 लाख से ज्यादा पर्यटक सालाना आते हैं. इससे पार्क प्रशासन को ही करीब 10 करोड़ तक की आमदनी हो जाती है. यही नहीं, कॉर्बेट क्षेत्र के आसपास के 250 से ज्यादा छोटे-बड़े होटल व्यवसायियों को भी इससे रोजगार मिलता है. साथ ही परिवहन विभाग और बाकी छोटे व्यापारियों की भी इससे रोजी-रोटी चलती है. इस तरह देखा जाए तो हजारों लोग कॉर्बेट की बदौलत रोजगार पा रहे हैं.
बाघों के घनत्व के लिए जाना जाता है कॉर्बेट: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व दुनिया भर में बाघों के सबसे अधिक घनत्व के लिए मशहूर है. बाघों की कम जगह में बेहद ज्यादा मौजूदगी के कारण पर्यटक यहां आना पसंद करते हैं. कॉर्बेट की इसी खासियत के कारण देश और दुनिया भर में कॉर्बेट में सबसे ज्यादा मौके बाघों को देखने के होते हैं. वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के रूप में कॉर्बेट का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है.
रेवेन्यू का बड़ा जरिया कॉर्बेट टाइगर रिजर्व: उत्तराखंड सरकार के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व रेवेन्यू का भी एक बड़ा जरिया है. जानकारी के अनुसार कॉर्बेट नेशनल पार्क में व्यवस्थाएं और सुरक्षात्मक कार्यों के लिए करीब ₹14 करोड़ का सालान बजट एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) की तरफ से कॉर्बेट प्रशासन को दिया जाता है. टाइगर सफारी बनने की स्थिति में पर्यटक बाघों को देखने यहां भी आएंगे, जिससे ज्यादा दबाव झेल रहे कॉर्बेट के क्षेत्र में पर्यटकों को लेकर कुछ राहत मिलेगी. उत्तराखंड सरकार को राजस्व भी मिलेगा.