
देहरादून : प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी का आकार 125 सदस्यों तक सिमट सकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा अपनी टीम में सक्रिय और निष्ठावान सदस्यों को ही स्थान देने के पक्ष में हैं।
उत्तराखंड में जंबो कार्यकारिणी की अब तक की व्यवस्था के उलट मात्र एक-चौथाई सदस्य संख्या तक सीमित होने जा रही नई कार्यकारिणी में गुटीय संतुलन साधना सबसे बड़ी चुनौती होगी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के 225 सदस्यों के चयन को लेकर उठे विवाद के बाद कप्तान माहरा के लिए नई कार्यकारिणी का मोर्चा अग्नि परीक्षा से कम नहीं रहने वाला है।
अस्तित्व को बचाने की बड़ी चुनौती
प्रदेश में लगातार दो विधानसभा चुनावों और दो लोकसभा चुनावों में बुरी तरह पराजित हो चुकी कांग्रेस के सामने अब अस्तित्व को बचाने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। यह हालत तब है, जब शहरों से लेकर गांवों तक पार्टी की पैठ मजबूत रही है।
अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी लंबी-चौड़ी रखने की परंपरा रही है। प्रदेश संगठन इसके माध्यम से क्षत्रपों के बीच संतुलन साधता रहा है। यह बात अलग है कि गुटीय संतुलन की इस परंपरा पर सवाल भी उठते रहे हैं। विधानसभा से लेकर लोकसभा के चुनावी मोर्चे पर कार्यकारिणी की लंबी-चौड़ी फौज दिखाई नहीं पड़ती।
हाईकमान से है बुलावे की प्रतीक्षा
प्रदेश में भाजपा जिस तरह मजबूत होकर उभरी है, कांग्रेस की बड़ी टीम के सामने भी महज शोपीस बने रहने की छवि से बाहर निकलने की चुनौती है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बीते मार्च माह में जिम्मेदारी संभालने वाले करन माहरा के सामने पार्टी को गांव-मुहल्लों से लेकर वार्डों-शहरों में फिर से खड़ा करने में जुटे हैं। इस काम के लिए वह अपनी टीम छोटी रखना चाहते हैं।