
नाचनी : तल्ला जोहार के केंद्र बिदु नाचनी में राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का भवन एक वर्ष पूर्व तैयार हो चुका है। भवन तैयार होने के बाद भी अस्पताल किराए के एक कमरे में संचालित हो रहा है। मात्र एक कमरे में संचालित होने वाले इस अस्पताल में मरहम पट्टी तक नहीं हो पाती है। घायलों को थल के गोचर चिकित्सालय आना पड़ता है।
लगभग 30 हजार की आबादी को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नाचनी में आयुर्वेदिक अस्पताल का उच्चीकरण किया गया। यहां पर आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दोनों चिकित्सा सुविधायुक्त बनाने से भवन निर्माण किया गया। वर्ष 2018-19 से भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ। वर्ष 2021 में पेयजल निर्माण निगम ने भवन निर्माण का कार्य पूरा कर दिया। भवन में पर्याप्त कक्षों सहित एक बड़ा हाल बनाया गया है। जिसे रोगियों को भर्ती करने के लिए वार्ड के रूप में प्रयोग किया जाएगा। साल भर पूर्व तैयार अस्पताल भवन में अभी तक पेयजल संयोजन नहीं लगने से भवन का हस्तांतरण नही होने का खामियाजा क्षेत्र की जनता भुगत रही है।
नाचनी अस्पताल से नाचनी से बांसबगड़ और तेजम के कई गांवों के अलावा पड़ोसी जिले बागेश्वर के भी 12 गांव निर्भर हैं। इसी उद्देश्य को लेकर अस्पताल भवन का निर्माण किया गया। आज भी इस क्षेत्र के लोगों को मरहम पट्टी करने के लिए 11 से लेकर 35 किमी दूर गोचर थल के स्वास्थ्य केंद्र तक जाना पड़ता है। अस्पताल भवन हस्तांतरण के लिए पेयजल निर्माण निगम और आयुर्वेदिक विभाग अलग-अलग तर्क देते हैं। प्रभारी चिकित्साधिकारी कहते हैं कि निगम ने अभी तक भवन निर्माण होने की लिखित सूचना विभाग को नहीं दी है।
नाचनी में आयुर्वेदिक अस्पताल भवन तैयार हो चुका है। पेयजल संयोजन लगना है। पेयजल संयोजन लगते ही निगम भवन आयुर्वेदिक अस्पताल को हस्तांतरित करेगा।-
– प्रकाश जोशी, अभियंता, पेयजल निर्माण निगम
आयुर्वेदिक अस्पताल भवन बने आठ माह से अधिक का समय बीत चुका है। पेयजल निर्माण निगम ने अभी तक भवन निर्माण की लिखित सूचना तक विभाग को नहीं दी है। जब तक निगम लिखित सूचना नहीं देगा तब तक हस्तांतरण कैसे हो सकता है।
– डा. हरीश धर्मशक्तू, चिकित्साधिकारी राआचि नाचनी