
उत्तरकाशी: चारधाम दर्शनों के लिए इस बार आस्था का सैलाब उमड़ रहा है, लेकिन यात्रा व्यवस्थाएं शुरुआती चरण में ही धराशायी होने लगी हैं। स्थिति यह है कि यमुनोत्री पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चर संचालक तय किराये से चार गुना, डंडी (पालकी) संचालक पांच गुना और कंडी संचालक तीन से चार गुना अधिक किराया श्रद्धालुओं से वसूल रहे हैं। जिला पंचायत से लेकर जिला प्रशासन तक का यात्रियों से की जा रही इस अवैध वसूली पर कोई नियंत्रण नहीं है। मध्य प्रदेश भिंड निवासी जगमोहन भदोरिया बताते हैं कि नौ मई को उन्होंने परिवार के साथ यमुनोत्री धाम में दर्शन किए। लेकिन, इसके लिए उन्हें घोड़ा-खच्चर, कंडी और पालकी संचालकों की मनमानी झेलनी पड़ी। इसकी शिकायत उन्होंने जानकीचट्टी पुलिस चौकी में भी की, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। 62-वर्षीय भदोरिया कहते हैं कि जानकीचट्टी से यमुनोत्री और यमुनोत्री से जानकीचट्टी तक अगर कोई व्यक्ति घोड़ा-खच्चर से आवाजाही करता है तो इसके लिए प्रशासन ने 1450 रुपये किराया तय किया है।
लेकिन, घोड़ा-खच्चर संचालक छह से लेकर आठ हजार रुपये तक वसूल रहे हैं। परिवार की महिलाओं के लिए उन्होंने जब कंडी और पालकी की व्यवस्था की तो कंडी संचालक ने निर्धारित किराया 1950 रुपये के बजाय दस हजार रुपये वसूले। इसी तरह से यमुनोत्री में पानी की एक लीटर की बोतल 20 रुपये के बजाय 40 रुपये में बेची जा रही है। वह कहते हैं कि इस लूट की शिकायत वह पीएमओ को पत्र लिखकर करेंगे। जानकीचट्टी चौकी में भी उन्होंने लिखित रूप में शिकायत की है। ग्वालियर निवासी जगदीश प्रसाद शर्मा कहते हैं कि जानकीचट्टी से यमुनोत्री जाने जाने के लिए एक डंडी संचालक को उन्होंने बड़ी मुश्किल से 12 हजार रुपये में तैयार किया। जबकि, डंडी का किराया प्रशासन ने 4200 रुपये तय किया हुआ है।
इसकी शिकायत उन्होंने पुलिस के पास भी की, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। उल्टे पुलिस की ओर से कहा गया कि अपने साथ पुलिस भी अपने प्रदेश की लेकर आओ। श्रद्धालुओं से मनमाना किराया वसूलने की शिकायत तीर्थ पुरोहितों ने भी प्रशासन से की है। बीते आठ दिनों में 52 हजार से अधिक श्रद्धालु यमुनोत्री धाम में दर्शन कर चुके हैं। कपाट खुलने के दौरान जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने जिला पंचायत को निर्देश दिए थे कि तीन दिन के अंतराल में यमुनोत्री के लिए घोड़ा-खच्चर की टोकन व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। लेकिन, अभी तक टोकन व्यवस्था तो दूर घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी संचालकों का पंजीकरण तक नहीं हो पाया है। वहीं, जिलाधिकारी ने भी माना कि श्रद्धालुओं से अधिक किराया वसूलने की शिकायतें मिली हैं। उन्होंने मंगलवार को पुलिस अधीक्षक के साथ स्वयं यमुनोत्री पैदल मार्ग का निरीक्षण किया। कहा कि घोड़ा-खच्चर संचालन को टोकन और रोटेशन व्यवस्था की जा रही है।