
झांसी. बेसिक शिक्षा के नाम पर हर साल सरकार की तरफ से करोड़ों रुपये का बजट पानी की तरह बहा दिया जाता है. इस बजट में बेसिक शिक्षा की बेहतरी को लेकर हाईटेक साधनों संसाधन को जुटाने पर खासा जोर दिया जाता है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे प्राथमिक विद्यालय से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जो करोड़ों का बजट मिलने के बाद भी ईंट- पत्थरों के मलबे के ढेर पर चलने को मजबूर है. इस प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 की क्लासेज़ ईंट-पत्थरों से भरे पड़े मलबे पर लगती हैं. इस मलबे के ढेर पर नौनिहाल बैठकर पढ़ाई करते हैं, शिक्षक भी मलबे के ढेर पर बैठकर बच्चों को पढ़ाते हैं.
झांसी मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूरी पर है बबीना ब्लॉक, जहां एक प्राथमिक विद्यालय है गणेशपुरा. तकरीबन दो महीने पहले गणेशपुरा प्राथमिक विद्यालय के भवनों को जर्जर होने का हवाला देकर तोड़ दिया गया था. विद्यालय को तोड़ने के बाद विद्यालय में फैले मलबे को हटाने के नाम पर शिक्षा विभाग ने डेढ़ महीने से अधिक का समय बिता दिया. अब स्कूल खुल गए हैं और मॉनसून भी सक्रिय है. ऐसे में इस विद्यालय में महज एक कमरा होने के चलते यहां पढ़ने वाले बच्चों को मलबे के ढेर पर बैठकर पढ़ाया जा रहा है.
मानसून में सांपों का भी खतरा
इन दिनों मानसून का समय है, आए दिन जोरदार बारिश हो रही है. ऐसे में पत्थरों के ढेर पर बैठे नौनिहालों के साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. सर्पदंश की घटनाएं अक्सर मॉनसून के समय में ही ज्यादा होती हैं. मलबे के ढेर पर बैठे बच्चे कभी भी सर्पदंश का शिकार हो सकते हैं. हालांकि इन खतरों के बावजूद शिक्षा विभाग कोई सुध नहीं ले रहा.
इस स्कूल में अब बस एक कमरा बचा है, जिसमें कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बच्चों को बैठाने मुमकिन नहीं है. ऐसे में प्रधानाध्यापक से लेकर शिक्षकों ने विद्यालय परिसर में पड़े मलबे को ही कक्षा बना ली है.
बीएसए ने दी नई ज्वाइनिंग की दलील
वहीं इस बाबत जिले में नया कार्यभार ग्रहण करने वाली बीएसए अधिकारी का कहना है कि वह भी जिले में नई आई हैं. जिले के भौगोलिक इतिहास के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. वह कहते हैं कि ‘इस मामले का संज्ञान लेते हुए खंड शिक्षा अधिकारी को लिखित में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जल्द से जल्द प्राथमिक विद्यालय के अंदर तोड़े गए भवनों की जगह नया भवन बना दिए जाएंगे. बच्चों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं होने दी जाएगी.’