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सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के खिलाफ दायर याचिका रद्द की

सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के खिलाफ दायर याचिका को रद्द कर दिया है और इस कानून को सही बताया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी (ED) को समन भेजने और गिरफ्तारी का अधिकार है। बता दें कि PMLA के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया था कि इसके प्रावधान कानून के खिलाफ हैं। पैसे को इधर-उधर भेजने के आरोप में भी PMLA का मुकदमा चलता रहता है और इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाता है। याचिका में ये भी कहा गया था कि इस एक्ट में अधिकारियों को मनमाने अधिकार दिए गए हैं।

सरकार ने कानून के पक्ष में क्या कहा?

PMLA के पक्ष में सरकार की ओर से कहा गया कि जिन लोगों ने इस एक्ट के खिलाफ याचिका दायर की है, वह कार्रवाई से बचना चाहते हैं। ये वही कानून है जिसके जरिए विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोगों से अबतक बैंकों के 18 हजार करोड़ रुपए वसूल लिए गए हैं।

ED को जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने PMLA के तहत ED के गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है और कहा है कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने कानून में फाइनेंस बिल के जरिए किए गए बदलाव के मामले को 7 जजों की बेंच में भेजा है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में ईडी के इस अधिकार को बरकरार रखा है, जिससे वह जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति को अटैच कर सकती है। बेंच ने ये भी कहा है कि ये जरूरी नहीं है कि आरोपी को ECIR (शिकायत की कॉपी) दी जाए। ये काफी है कि आरोपी को यह बता दिया जाए कि उसे किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा गया।

कितने लोग अब तक दोषी पाए गए

लोकसभा में बीते सोमवार को केंद्र सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि 17 साल पहले कानून के लागू होने के बाद PMLA के तहत दर्ज 5,422 मामलों में केवल 23 लोग ही दोषी ठहराए गए। जबकि 31 मार्च, 2022 तक करीब 1,04,702 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी ने PMLA के तहत अटैच की है और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की है। इसमें 869.31 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं और 23 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है।

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