
नई दिल्ली । ‘हम केवल चुनाव हारे हैं, पर हिम्मत नहीं हारे, हम कहीं नहीं जा रहे, हम लौटेंगे नए बदलाव के साथ, नई रणनीति के साथ’ पांच राज्यों के चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद इन शब्दों के जरिये कांग्रेस ने मुश्किल में हौसला रखने का चाहे जितना भावुक संदेश दिया हो मगर इस हौसला अफजाई से पार्टी नेताओं का टूटता सब्र रुक पाएगा इसकी गुंजाइश अब नहीं दिख रही। कांग्रेस की सियासी प्रासंगिकता पर लगातार गहराते सवालों से बेचैन हो रहे कुछ वरिष्ठ असंतुष्ट नेता ताजा हार के बाद पार्टी संगठन की बदहाली के साथ एक बार फिर नेतृत्व की रीति-नीति के संचालन पर मुखर आवाज उठाने की तैयारी में जुट गए हैं।
शशि थरूर ने उठाई आवाज
कांग्रेस की इस चिंताजनक स्थिति के मद्देनजर वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने तो दो टूक कह दिया है कि प्रासंगिक बने रहना है तो पार्टी के संगठनात्मक नेतृत्व में बदलाव को अब टाला नहीं जा सकता। पार्टी में उठने वाले बवंडर की आशंका को देखते हुए पार्टी ने नतीजों के तत्काल बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाकर आत्ममंथन करने का एलान भी कर दिया है। लेकिन कांग्रेस की मौजूदा दुर्दशा के बीच अपने सियासी भविष्य के साथ विपक्षी राजनीति में पार्टी की प्रासंगिकता को लेकर बेचैन कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे के नेता अब शायद ही चुप रहेंगे।
फिर उठेंगे सवाल
इस बात के पुख्ता संकेत हैं मौजूदा हार के मद्देनजर असंतुष्ट जी-23 नेताओं की ओर से एक बार फिर उन सवालों को मुखरता से उठाया जाएगा जिन्हें अगस्त 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र में उठाया गया था। इस पत्र में उठाई गई प्रमुख मांगों में शीर्ष से लेकर ब्लाक स्तर तक संगठन चुनाव कराने के अलावा, तत्काल संसदीय बोर्ड और स्वतंत्र केंद्रीय चुनाव समिति बनाने से लेकर पार्टी के संचालन और रीति-नीति का फैसला करने के लिए एक मेकेनिज्म बनाने की मांग शामिल थी।