
चीनी कंपनियों के काम करने के तौर-तरीकों पर सरकार की पैनी नजर है. कुछ महीने पहले स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी Xiaomi से पूछताछ हुई थी, तो अब Huawei के कुछ अधिकारियों को आयकर विभाग की ओर से समन भेजा गया है.
सीईओ, 3 टॉप ऑफिशियल्स को समन
आयकर विभाग (Income Tax Department) की शिकायत पर दिल्ली की एक अदालत ने Huawei Telecommunications (India) के सीईओ ली जिऑन्गवे (Li Xiongwei) और तीन टॉप ऑफिशियल्स को समन किया है. ईटी की खबर के मुताबिक इसमें कंपनी के सीएफओ संदीप भाटिया, टैक्स हेड अमित दुग्गल और ट्रांसफर प्राइसिंग के प्रभारी लॉन्ग चेंग (Long Cheng) का नाम शामिल है. अपने आदेश में अदालत ने कहा है कि आरोपी कंपनी और इसके अधिकारियों के सहयोग नहीं करने के चलते आयकर विभाग के अधिकारियों का तलाशी अभियान बाधित हुआ.आगे जानिए क्या है ये पूरा मामला और अदालत ने अपने आदेश में क्या-क्या कहा…
हो सकती है 2 साल तक की जेल
अदालत ने कहा कि कंपनी और उसके अधिकारियों के खिलाफ आयकर कानून की धारा-275-B और धारा-278-B के तहत समन जारी करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज हैं. इन धाराओं के उल्लंघन पर दंड लगाया जा सकता है या अधिकतम दो साल की कैद भी हो सकती है. आदेश देने से पहले अदालत ने कंपनी के चारों अधिकारियों के बयान की समीक्षा की. ये बयान आयकर विभाग ने दर्ज किए थे.
हालांकि इस बारे में अभी कंपनी या किसी भी अधिकारी की ओर से कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है.
क्या है Huawei का मामला?
दरअसल ये मामला Huawei के भारत से बाहर अपनी संबंधित पार्टीज (क्लाइंट्स) को टेक्नीकल सर्विस के नाम पर बढ़ा हुआ पेमेंट करने से जुड़ा है. इस मामले में आयकर विभाग ने फरवरी में कंपनी के गुरुग्राम और कर्नाटक के दफ्तरों पर छापा मारा था. साथ ही कंपनी के सीईओ के आवास पर भी छापा मारा गया था. ये कार्रवाई 8 दिन तक चली थी. इस दौरान आयकर विभाग ने कई लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, हार्ड ड्राइव, मोबाइल फोन और दस्तावेज जब्त किए थे. साथ ही कंपनी के बैंक अकांट और ट्रेड रिसीवेबल को भी अटैच कर लिया था.
Xiaomi पर लगे समान आरोप
इससे पहले चीन की एक और कंपनी Xiaomi पर भी ऐसे ही आरोप लगे थे. ईडी ने Xiaomi India के 5,551 करोड़ रुपये मूल्य के एसेट जब्त किए हैं. कंपनी पर FEMA के उल्लंघन के साथ-साथ, मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है. Xiaomi India ने 2015 से अपनी पेरेंट कंपनी को भारत से पैसे भेजना शुरू किया और विदेशी कंपनियों को कुल 5,551.27 करोड़ रुपये भेजे. कंपनी ने ये राशि रॉयल्टी चुकाने की आड़ में भेजी. इसमें एक विदेशी कंपनी Xiaomi समूह की है. जबकि दो अन्य कंपनियां अमेरिका की हैं, लेकिन इनका भी अंतिम लाभ Xiaomi की कंपनियों को ही मिला. उसने विदेश में काम करने वाली इन तीनों कंपनियों की कोई सर्विस ली ही नहीं और कई फर्जी दस्तावेज बनाकर रॉयल्टी के नाम पर ये राशि भेजी.