
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक फैसले में सभी हाई कोर्ट को सांसदों-विधायकों के खिलाफ पांच साल से अधिक समय से लंबित आपराधिक मामलों और उनके शीघ्र निपटारे के लिए उठाए गए कदमों समेत पूरा विवरण उपलब्ध कराने को कहा है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच, जो दोषी विधायकों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, ने भी सभी हाई कोर्ट से यह बताने को लेकर निर्देश दिया है कि इन मामलों में मुकदमे की सुनवाई में तेजी लाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.
विशेष अदालत के प्रभार से मुक्त करने की मांग
देश की शीर्ष अदालत ने न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया की दलील को संज्ञान में लेते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन दायर किए गए हैं जिसमें विशेष अदालत के प्रभार से मुक्त करने की अनुमति देने की मांग की गई है, क्योंकि या तो उनकी प्रोन्नति हो गई है या फिर स्थानांतरण हो चुका है.
शीर्ष अदालत ने 10 अगस्त 2021 के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को यह अधिकार होगा कि वह ऐसे न्यायिक अधिकारियों के तबादले का आदेश दे सकेंगे.
4 हफ्ते में हलफनामा दाखिल करना होगा
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि सभी हाई कोर्ट को चार हफ्ते के अंदर एक हलफनामा दाखिल करके सांसद-विधायक के खिलाफ पांच साल से अधिक समय से लंबित आपराधिक मामलों की संख्या और उनके शीघ्र निपटारे के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताना होगा.
पीठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा वर्ष 2016 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए जाने पर राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग के अलावा सांसद-विधायक के खिलाफ दर्ज मामलों में तेज सुनवाई की मांग की थी.