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अविवाहित महिलाओं को 24 हफ्तों तक अबॉर्शन कराने का अधिकार- SC

सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत रेप में ‘वैवाहिक रेप‘ भी शामिल होना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच अबॉर्शन के अधिकार को खत्म कर दिया और अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्तों तक अबॉर्शन कराने का अधिकार दे दिया. देश में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आती रहती हैं. सरकारी आंकड़ों में अनुसार देश में अधिकांश विवाहित महिलाओं के साथ यौन हिंसा के लिए पति ही अपराधी पाए गए. मतलब हर 4 में से 3 महिलाओं के लिए उनके पति ही दुश्मन साबित हुए.

पिछले साल नवंबर में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019-21) के अनुसार, विवाहित महिलाओं पर हुए यौन हिंसा (marital rape) मामले में सबसे ज्यादा दोषी पति ही पाए गए. 18 से 49 आयु वर्ग की विवाहित महिलाओं में यौन हिंसा का अनुभव करने वाली महिलाओं में 83 प्रतिशत मामलों में उनके पति ही दोषी निकले, जबकि 13.7 फीसदी मामलों में महिला के पूर्व पति अपराधी साबित हुए.

इसके अलावा 1.6 फीसदी मामलों में महिलाएं अपने ब्वॉयफ्रेंड या पूर्व ब्वॉयफ्रेंड के हमले का शिकार हुईं. जबकि 1.4 फीसदी मामलों में उनके पिता और भाई भी संलिप्त पाए गए. खास बात यह है कि विवाहित महिलाओं पर यौन हिंसा के मामलों में दोषी पाए गए 0.2 फीसदी लोग अजनबी लोग रहे.

82% मामलों में पति ही अपराधी

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा इस देशव्यापी सर्वेक्षण के लिए बातचीत में शामिल 18 से 49 साल की आयु वाली छह फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी न कभी यौन हिंसा का अनुभव किया है. 4,169 विवाहित महिलाएं जिन्होंने यौन हिंसा का अनुभव किया है, उनमें से 82 फीसदी ने कहा कि अपराधी उनके पति थे.

उनमें से, एक बड़ी संख्या (84 फीसदी) ने बताया कि उनके पतियों ने “जबरन शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया, जबकि वह ऐसा नहीं करना चाहती थीं” और यह भारतीय दंड संहिता में रेप की परिभाषा में आता है.

कर्नाटक में इन महिलाओं की संख्या (10.3) सबसे अधिक रही, जिन्होंने अपने पतियों द्वारा यौन हिंसा की शिकायत की. इसके बाद पश्चिम बंगाल (9), बिहार (8.1) और लद्दाख (7.7) का नंबर आता है. साथ ही, इनमें से कुछ ही महिलाओं ने अपने पार्टनर से शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करने के बाद मदद की गुहार लगाई.

14 फीसदी ने लगाई मदद की गुहार

इस सरकारी सर्वेक्षण में कहा गया है, “देश में कभी भी किसी भी प्रकार की शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव करने वाली सभी विवाहित महिलाओं में से महज 14 फीसदी ने हिंसा के लिए मदद की गुहार लगाई जबकि 77 फीसदी ने किसी तरह की कभी कोई मदद नहीं मांगी और न ही हिंसा के बारे में किसी को बताया.” साथ ही जिन लोगों ने मदद मांगी, उनमें से करीब 60 फीसदी ने सपोर्ट के लिए अपने परिवारों की ओर रुख किया.

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