
द्वाराहाट : गगास बैराज प्रकरण पर नया मोड़ आ गया है। वहीं इसकी प्रगति पर संशय गहराने लगा है। विभागीय हीलाहवाली व निर्माण एजेंसी की कछुआ चाल के बीच महत्वाकांक्षी योजना का 1.94 करोड़ रुपये का बजट समर्पण (सरेंडर) कर दिए जाने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। सिचाई विभाग के आला अधिकारियों ने बजट वापस जाने का दोष अपने ही अधिशासी अभियंता पर मढ़ दिया है। साथ ही शासन को कार्यवाही की संस्तुति कर दी है। दूसरी ओर बजट के रहते बैराज निर्माण में देरी पर ठेकेदार को अंतिम नोटिस थमा दिया गया है। सूत्र बताते हैं कि ठेकेदार पर पेनाल्टी की तैयारी भी चल रही है।
वर्ष 2018 में गगास नदी जलागम क्षेत्र में बहुद्देशीय बैराज को दिसंबर 2020 तक मूर्तरूप ले लेना था। मगर अब तक महज 30 फीसद ही निर्माण हो सका है। स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि सुस्त चाल के लिए अवैध खनन पर ज्यादा ध्यान देने का आरोप लगा मुखर हैं। उधर ईई सिचाई विभाग सीपी भट्ट ने बीते 28 मार्च को बैराज निर्माण को मिले 1.94 करोड़ के बजट का समर्पण कर दिया। तब ठेकेदार और अधिशासी अभियंता के बीच चिलियानौला स्थित खंड कार्यालय में बखेड़ा भी हुआ था। हंगामे के बीच देर शाम तक आरोप प्रत्यारोप का दौर चला था।
उधर ईई भट्ट के बजट का समर्पण करना उच्चाधिकारियों को नागवार गुजरा है। चूंकि बैराज निर्माण में केंद्रीय बजट खर्च किया जा रहा। बजट वापस लाने को राज्य सरकार व विभाग की किरकिरी माना जा रहा। यही वजह है कि हरकत में आए उच्चाधिकारियों ने इइ के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की संस्तुति शासन को कर दी है। कोरोना व बाढ़ को माना देरी की वजह
सिचाई विभाग के उच्चाधिकारियों ने लेटलतीफी के लिए संबंधित ठेकेदार को अंतिम नोटिस तो थमाया है। मगर उसे राहत भी दे दी है। उच्च स्तर पर बैराज निर्माण में देरी का कारण कोरोना व बीते वष अक्टूबर में आई आपदा को माना गया है। तकनीकी रोड़े के मद्देनजर बैराज निर्माण की अवधि को एक साल और आगे बढ़ा दिया गया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो नया बजट मिलने तक बैराज निर्माण की रफ्तार थमी रह सकती है।
गगास बैराज के लिए बजट भारत सरकार का था। इसका ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग होना था। लेकिन ईई ने मनमानी कर बजट का समर्पण (सरेंडर) कर दिया। इससे विभाग को नुकसान उठाना पड़ा है। ईई रानीखेत के विरुद्ध कार्यवाही के लिए शासन को पत्र भेज दिया है। संबंधित ठेकेदार को भी अंतिम नोटिस थमाया है। देरी के लिए कोरोना और बाढ़ भी कारण रहा। अब इसे जल्द पूरा करेंगे।
– एमके खेर, अशिक्षण अभियंता सिचाई विभाग