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गाजियाबाद नगर निगम और GDA पर NGT ने लगाया 200 करोड़ का जुर्माना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गाजियाबाद के शक्ति खंड-चार में डाले जा रहे कूड़े को न हटाने और मानदंडों का पालन करने में विफल रहने के लिए नगर निगम और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) को मुआवजे के रूप में 200 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है. जुर्माने की रकम में नगर निगम को 150 करोड़ रुपए, जीडीए को 50 करोड़ रुपए 2 माह के अंदर जिलाधिकारी को जमा करना है.

अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय एनजीटी पीठ ने 6 सितंबर के आदेश में कहा कि राशि को दो महीने के भीतर जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास जमा किया जाना चाहिए और एक संयुक्त समिति द्वारा सही उपायों के लिए उपयोग किया जाना चाहिए. पैनल में केंद्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी और डीएम शामिल हैं. यह आदेश कन्फेडरेशन ऑफ ट्रांस-हिंडन आरडब्ल्यूए द्वारा इंदिरापुरम के शक्ति खंड -4 आवासीय क्षेत्र में डंप किए गए कचरे पर दायर 2018 की याचिका पर आया है.

जिम्मेदार ठहराने के एक महीने बाद सुनाया फैसला

मामले में 27 अक्टूबर 2021 को एनजीटी ने नगर निगम पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. यह जुर्माना केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) में जमा करना था लेकिन जमा नहीं किया गया. एनजीटी में नगर निगम के अधिकारियों ने कहा था कि इंदिरापुरम से कूड़े को गालंद में शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन अभी तक कूड़ा शिफ्ट नहीं हुआ है. जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने नोएडा प्राधिकरण को यमुना नदी में खाली होने वाले सिंचाई नाले में अन ट्रिटेड सीवेज को बहने से रोकने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार ठहराने के एक महीने बाद अपना फैसला सुनाया.

आरडब्ल्यूए ने दिया था ये तर्क

इस मामले में उसने नोएडा अथॉरिटी को मुआवजे के तौर पर 100 करोड़ रुपये देने को कहा था. ट्रिब्यूनल को स्थानांतरित करने वाले आरडब्ल्यूए ने तर्क दिया था कि शक्ति खंड -4 में अवैध लैंडफिल ने इंदिरापुरम, वसुंधरा और वैशाली के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर दिया था. एनजीटी ने गाजियाबाद में वेस्ट मैनेजमेन्ट नॉर्म का निरीक्षण करने के लिए जिला अधिकारियों, नागरिक अधिकारियों और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों की एक निगरानी समिति का गठन किया था. जिसके बाद अब जुर्माना लगाया गया है.

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