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नेशनल हाईवे अथॉरिटी अब सड़क निर्माण के साथ उपलब्‍ध कराएगा शुद्ध पानी

नई दिल्‍ली. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highway Authority of India) अब हाईवे (Highway) निर्माण के साथ-साथ लोगों को शुद्ध पानी (pure water) भी उपलब्‍ध कराएगा. यह पानी मिनरल वाटर से भी ज्यादा शुद्ध होगा, जो औषधि का भी काम करेगा. क्‍योंकि ये पानी पहाड़ों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों के बीच से आएगा. हालांकि यह पानी पहाड़ों में रहने वाले लोगों को ही मिल पाएगा, जो बिल्‍कुल फ्री होगा. पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर यह प्रयोग किया गया है, भविष्‍य में सभी टनल्‍स (tunnels) में इस तकनीक का इस्‍तेमाल किया जाएगा.

पहाड़ी इलाकों में जमीन से पानी निकालना एक चुनौती है, क्‍योंकि यहां पर बोरिंग करना मुश्किल है और चट्टानों में पानी भी नहीं निकलता है. वहीं दूसरी ओर एनएचएआई पहाड़ी इलाकों में हाईवे के लिए पहाड़ काटकर टनल बनाता है. पहाड़ों में बीच बीच में पानी भरा होता है, जो लगातार बहता रहता है.

शिमला में पायलट प्रोजेक्‍ट शुरू
एनएचएआई ने पहाड़ों से निकलने वाले इस पानी को इकट्ठा करने के लिए हिमाचल प्रदेश के शिमला में पायलट प्रोजेक्‍ट के रूप में नई तकनीक का इस्‍तेमाल किया है. इस तकनीक से पानी निकलने वाले स्‍थानों पर पाइप लगाकर पानी टनल के बाहर लाया जाएगा. पानी को इकट्ठा करने के लिए टंकियां बनाई जाएंगी, जिसमें पानी लगातार भरता रहेगा. इस पानी को आसपास रहने वाले ग्रामीण इस्‍तेमाल कर सकेंगे.

50 से 60 हजार लीटर पानी प्रति दिन
एनएचएआई के हिमाचल प्रदेश के रीजनल ऑफिसर ने बताया कि रोजाना 50-60 हजार लीटर पानी इकट्ठा किया जाएगा. पानी की मात्रा और भी ज्‍यादा हो सकती है, अगर पहाड़ों में पानी ज्‍यादा हुआ तो.

बिल्‍कुल नेचुरल पानी
यह पानी बिल्कुल शुद्ध और नेचुरल मिनरल वाटर की तरह है, जिसको डायरेक्ट इस्तेमाल किया जा सकता है. पानी औषधि का भी काम करेगा. क्‍योंकि पहाड़ों से आने वाला पानी रास्‍ते में पड़ने वाली जड़ी बूटियों से होकर आएगा.

अभी तक पानी होता था बर्बाद
अभी तक पहाड़ों में बनने वाली टनल्‍स से पानी नीचे टपकता है और इस पानी को इकट्ठा करके साइड में बनी नालियों में छोड़ा जाता है और वहां से नीचे घाटियों में बहता हुआ चला जाता है. यह पानी किसी के काम नहीं आता है. क्योंकि इस पानी को स्टोरेज नहीं किया जाता है.

सभी प्रोजेक्‍ट में इस तकनीक का होगा इस्‍तेमाल
एनएचएआई के हिमाचल प्रदेश के रीजनल ऑफिसर ने बताया कि इस अनूठी पहल से हम बर्बाद होने वाले कीमती पानी का संचयन कर सकेंगे, जिसे लोगों को उनके पीने और अन्य जरूरतों के लिए दे सकेंगे. इस तकनीक को सभी आगामी टनल परियोजनाओं में लागू किया जाएगा.

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