
नई दिल्ली : देश की सहकारी संस्थाओं में कुशल पेशेवर मानव संसाधनों की किल्लत दूर करने के लिए सरकार राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करेगी। इसके लिए विभिन्न राज्यों से प्रस्ताव भी आने लगे हैं। प्रतिस्पर्धा के इस युग में सहकारी क्षेत्र बुरी तरह पिछड़ रहा है। निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक की सहकारी संस्थाओं में बेहतर लोगों की कमी दूर करने का कभी प्रयास नहीं किया गया। अब सहकारिता मंत्रालय इसे लेकर बेहद गंभीर है।
इस बाबत कई अध्ययन कराए गए जिनमें इसके लिए पेशेवर प्रबंधकों की भारी कमी को जिम्मेदार माना गया। बदलते परिवेश में सहकारी संस्थाओं को आगे ले जाने के लिए उचित प्रबंधन की सख्त दरकार है। सहकारी संस्थाओं के मौजूदा संगठनात्मक ढांचे की खामियां लगातार उजागर होती रही हैं, लेकिन राज्यों ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की जिसका खामियाजा सहकारी संस्थाओं को भुगतना पड़ रहा है।
सहकारी आंदोलन की गति तेज करने के लिए सहकारी क्षेत्र की प्राथमिक समितियों और अन्य संस्थाओं का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। इसके लिए कई संस्थाएं काम करने लगी हैं। वैसे तो देश में लगभग ढाई दर्जन कोआपरेटिव मैनेजमेंट कालेज स्थापित किए गए हैं, लेकिन यहां से तैयार मानव संसाधनों का उपयोग सफल शीर्ष संस्थाएं कर रही हैं। सहकारी क्षेत्र में इनकी कमी बनी हुई है।