
चम्पावत : वर्ष 2012 में कांग्रेस शासन में शुरू हुई कोलीढेक झील निर्माण की कवायद अब आकार लेने के करीब है। कछुआ गति से चला झील निर्माण का कार्य भले ही समय पर पूरा नहीं हो पाया। लेकिन अब इसका निर्माण कार्य अंतिम रण में पहुंच गया है। सिंचाई विभाग ने आगामी अप्रैल माह के अंत तक झील का निर्माण कार्य पूरा कर लेने का दावा किया है। कांग्रेस की स्वीकृति के बाद झील निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने वाली भाजपा सरकार को ही इसे पूरा करने का अवसर मिलने जा रहा है।
लोहाघाट क्षेत्र में कोलीढेक में झील का निर्माण किया जा रहा है। झील निर्माण की कवायद वर्ष 2012 में हुई थी। शासन की ओर से झील निर्माण के लिए बीते फरवरी माह में छह करोड़ रुपये की एक और किस्त जारी कर दी गई है। अब तक झील निर्माण के लिए 30 करोड़ 76 लाख 12 हजार रुपये की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के सापेक्ष 29 करोड़ 25 लाख 37 हजार रुपये की राशि विभाग को अवमुक्त हो चुकी है।
इसमें से झील के डूब क्षेत्र में आ रही नाप भूमि के काश्तकारों को छह करोड़ 18 लाख 13 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर बांटे जा चुके हैं। छह करोड़ 78 लाख 75 हजार रुपये का मुआवजा काश्तकारों को वितरित किया जाना शेष है। सिंचाई विभाग के एई भुवन पांडेय के अनुसार झील के निर्माण में आने वाली वन भूमि के लिए 59 लाख चार हजार रुपये वन विभाग को हस्तांतरित किया जा चुका है।
वर्ष 2012 में झील परियोजना के लिए 27 करोड़ 13 लाख 94 हजार रुपये का आगणन तैयार किया गया था। बाद में परियोजना की लागत बढऩे से तीन करोड़ 62 लाख 18 हजार रुपये की और बढ़ोत्तरी की गई। उन्होंने बताया कि झील निर्माण के अंतिम चरण में डैम मानिटरिंग, सेफ्टी सिस्टम गेट, कंट्रोल रूम निर्माण, इंस्टॉलेशन और लैंड स्केपिंग का कार्य किया जा रहा है।
यह है झील का क्षेत्रफल
निर्माणाधीन झील की लंबाई 1450 मीटर, चौड़ाई 70 मीटर और गहराई औसतन 12 मीटर है। झील निर्माण के लिए सिंचाई विभाग की ओर से 14.012 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गई है। इसमें ग्राम कोली की 9.512 हेक्टेयर, फोर्ती ग्राम पंचायत की 0.764 हेक्टेयर नाप भूमि के अलावा 3.192 हेक्टेयर राजस्व भूमि और 1.308 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है।
एई सिंचाई विभाग भुवन पांडेय ने बताया कि कोलीढेक झील निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। गेट लगाकर आगामी अप्रैल माह के अंत तक झील का सम्पूर्ण कार्य कंपलीट कर लिया जाएगा। बीते फरवरी माह में छह करोड़ रुपये की एक और किस्त आई थी जिसके बाद निर्माण कार्य में तेजी आई है।